
इंदौर। नगर निगम ने सडक़ चौड़ीकरण के चलते शहर में हजारों मकानों-दुकानों को तोड़ा और नकद मुआवजा तो किसी को नहीं मिला। अलबत्ता टीडीआर के सर्टिफिकेट अवश्य पकड़ा दिए, जो अभी तक तो कागजी ही साबित हुए हैं। अब गजट नोटिफिकेशन के बाद चार और चौड़ी की गई सडक़ों के प्रभावितों को ये टीडीआर के सर्टिफिकेट बांटे जाएंगे, जिसके चलते निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव ने 15 दिन में प्रभवितों से मय दस्तावेजों के जानकारी मांगी है, ताकि जांच के बाद वास्तविक जमीन मालिक को सर्टिफिकेट दिया जा सके। इसमें महूनाका से टोरी कॉर्नर, व्यास ब्रिज से जिंसी चौराहा, सरवटे से गंगवाल और बड़ा गणपति से राजमोहल्ला के भूखंड धारक शामिल रहेंगे। निगम ने इन चार सडक़ों के चौड़ीकरण के चलते सैंकड़ों मकान तोड़े और लगभग सवा 2 लाख स्क्वेयर फीट निजी जमीनें ली और अब उसके बदले 1211 प्रभावितों को ये टीडीआर के सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि इंदौर का पहला टीडीआर लेन-देन कुछ समय पूर्व कनाडिय़ा रोड पर एक निजी प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किया गया और बदले में डेवलपर को 84 वर्गमीटर अतिरिक्त निर्माण की मंजूरी भी मिल गई।
शासन ने टीडीआर के साथ टीओडी पॉलिसी भी घोषित कर रखी है। मगर असल समस्या यह है कि जब तक मास्टर प्लान और भूमि विकास नियम के कुछ प्रावधानों में संशोधन नहीं किया जाता, तब तक टीडीआर और टीओडी सर्टिफिकेट का बेहतर इस्तेमाल प्रभावितों द्वारा नहीं किया जा सकेगा। यहां तक कि इंदौर में सडक़ चौड़ीकरण के चलते टूटे मकानों का मामला विधानसभा में भी कई बार उठ चुका है और विभागीय मंत्री ने नकद मुआवजे की बजाय अतिरिक्त एफएआर देकर पर्याप्त क्षतिपूर्ति के दावे भी किए हैं। स्मार्ट सिटी के तहत नगर निगम ने महू नाका से टोरी कॉर्नर सडक़ चौड़ीकरण किया, उसमें लगभग 306 जमीन मालिकों की निजी जमीनें हासिल की गई। इसी तरह सरवटे से गंगवाल बस स्टैंड चौड़ीकरण में प्रभावित जमीन मालिकों की संख्या 739 रही, जिसमें दाईं तरफ के प्रभावित 359 और बायीं तरफ के प्रभावितों की संख्या 380 रही, वहीं महूनाका से टोरी कॉर्नर दायीं तरफ के प्रभावित 149, तो बायीं तरफ के प्रभावित 157 रहे। इसी तरह व्यास ब्रिज से जिंसी चौराहा के चौड़ीकरण में प्रभावितों की संख्या 30 रही, जिसमें दायीं तरफ के 20 और बायीं तरफ के 10 जमीन मालिक शामिल रहे।
इसी तरह बड़ा गणपति से राजमोहल्ला सडक़ चौड़ीकरण के प्रभावितों की संख्य 136 है, जिसमें दायीं तरफ के 63 और बायीं तरफ के 63 प्रभावित हैं। इन चारों सडक़ों के निर्माण में नगर निगम ने 1211 जमीन मालिकों की निजी जमीनें चौड़ीकरण के लिए ली, जिसमें लगभग ढाई हेक्टेयर से अधिक, यानी सवा 2 लाख स्क्वेयर फीट जमीन शामिल है। शासन द्वारा बनाए गए टीडीआर पोर्टल पर इन सभी जमीन मालिकों के नाम चढ़ाने और गजट नोटिफिकेशन के बाद अब आयुक्त ने इन निजी जमीन मालिकों से दस्तावेज मांगे हैं। 15 दिनों में संबंधित झोन पर इन चारों सडक़ों से प्रभावित जमीन मालिक अपने आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे, जिसमें आधार, पेन कार्ड, दो फोटो, स्वामित्व संबंधी पंजीकृत दस्तावेज, सहमति पत्र, सम्पत्ति कर की रसीद, समग्र आईडी और प्रारूप तीन मुख्य रूप से शामिल हैं। नियत समय में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने पर फिर निगम अपनी आगे की कार्रवाई करेगा। ये निजी जमीन मालिक अपने टीडीआर सर्टिफिकेट को निजी डेवलपर-बिल्डर को बेच सकेंगे। जैसे कुछ समय पूर्व कनाडिय़ा के मोर्या हिल्स प्रोजेक्ट के लिए लिया गया, जिसे नगर तथा ग्राम निवेश ने भी मंजूरी दी, वहीं निगम के जनकार्य समिति प्रभारी राजेन्द्र राठौर के मुताबिक, अब मास्टर प्लान की सभी 23 सडक़ों का काम भी शुरू कराया जा रहा है और इसके लिए भी बड़ी संख्या में मकानों-दुकानों को हटाना पड़ेगा और सभी प्रभावितों को इसी तरह टीडीआर सर्टिफिकेट दिलवाया जाएगा।
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