
अलीगढ़। आज के दौर में खुशबू और परफ्यूम (Fragrances and Perfumes) का इस्तेमाल आम हो चुका है. हर कोई अच्छा महकना चाहता है. आमतौर पर मुस्लिम समाज (Muslim Society) में इत्र लगाना अच्छा माना जाता है, लेकिन अक्सर ये सवाल भी उठता रहा है कि क्या इस्लाम (Islam) में परफ्यूम लगाना जायज है? इसे लेकर मुस्लिम समाज के लोगों मे अलग-अलग राय रहती है. कुछ का मानना है कि परफ्यूम लगाने से कोई हर्ज नहीं है तो कुछ लोग परफ्यूम लगाने से परहेज करते हैं. लेकिन आखिर सही बात क्या है. इसी सवाल का जवाब जानने के लिए अलीगढ़ के मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन (Maulana Chaudhry Ifrahim Hussain) से बातचीत की. मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन बताते हैं कि इस्लाम में परफ्यूम या इत्र लगाना जायज है, लेकिन इसके लिए एक शर्त रखी गई है कि वह शराब या अल्कोहल से तैयार न हो।
आमतौर पर अच्छा माना गया
मौलाना चौधरी इफराहीम के मुताबिक, इत्र लगाना पसंद किया गया है और इसे सुन्नत भी माना गया है. खुशबू लगाना न केवल अच्छी आदत है बल्कि नमाज के दौरान खुशबू लगाना अच्छा माना जाता है. इसलिए मुस्लिम समाज मे खुशबू लगकर लोग मस्जिद मे नमाज पढ़ने जाते हैं. ईद, बकरा ईद पर भी ईद की नमाज पढ़ने पर भी खुशबू लगा कर जाया जाता है।
लेकिन औरतों को मनाही
मौलाना इफराहीम हुसैन बताते हैं कि मर्दों के लिए इत्र लगाना जायज है और इसे सवाब का काम माना गया है. औरतों के लिए घर में रहते हुए इत्र लगाना जायज और सवाब है, लेकिन जब वे घर से बाहर निकलें तो उनके लिए यह हुक्म है कि वे बहुत गहरी या तेज खुशबू वाला इत्र न लगाएं ताकि गैर-महरम यानी गैर मर्द उसकी खुशबू से आकर्षित न हों. इसीलिए घर के बाहर औरतों के लिए तेज खुशबू वाले इत्र का इस्तेमाल मना किया गया है. जबकि मर्दों के लिए इसकी इजाजत दी गई है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved