
नई दिल्ली । भारत(India) की सबसे बड़ी तेल रिफाइनर (oil refiners)और ईंधन खुदरा कंपनी इंडियनऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IndianOil) ने सोमवार को कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय(International community) द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों का पालन(adherence to restrictions) करेगी, हालांकि कंपनी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह रूस की कंपनियों रॉसनेफ्ट और लुकोइल से सस्ता कच्चा तेल खरीदना बंद करेगी या नहीं।
कंपनी के चेयरमैन अरविंदर सिंह सहनी ने कहा, “हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों का पालन करेंगे।” यह बयान ऐसे समय आया है जब इंडियनऑयल ने जुलाई–सितंबर तिमाही में 7,610 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह लाभ मात्र 180 करोड़ रुपये था।
रिफाइनिंग मार्जिन में रिकॉर्ड उछाल
कंपनी ने बताया कि इस मुनाफे में उछाल का मुख्य कारण रिफाइनिंग मार्जिन में तेजी रहा- जो इस बार 10.6 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा 1.8 डॉलर प्रति बैरल था। हालांकि, जब सहनी से पूछा गया कि क्या रूस से खरीदे गए सस्ते तेल की वजह से मुनाफा बढ़ा, तो उन्होंने कहा, “कंपनी ने पहले भी बिना रूसी कच्चे तेल के ऐसे अच्छे परिणाम हासिल किए हैं। यह बाजार की स्थिति, क्रैक मार्जिन, लागत में कमी और दक्षता सुधार का परिणाम है।”
रूसी तेल पर अमेरिकी सख्ती का असर
हाल के हफ्तों में अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों- Rosneft और Lukoil पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। इन दोनों कंपनियों से भारत को बड़ी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल मिलता था। लेकिन अब अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत इनके तेल को प्रतिबंधित स्रोत से जुड़ा तेल माना गया है। इसी कारण माना जा रहा है कि 21 नवंबर की कट-ऑफ तारीख से पहले भारतीय रिफाइनर- खासतौर पर सरकारी क्षेत्र की कंपनियां रूसी तेल की खरीद से धीरे-धीरे हट सकती हैं ताकि द्वितीयक प्रतिबंधों का खतरा न उठाना पड़े।
रिलायंस के बाद इंडियनऑयल का भी रुख साफ
इंडियनऑयल दूसरी भारतीय रिफाइनिंग कंपनी है जिसने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के पालन का वादा किया है। इससे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने भी अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों का पालन करने की घोषणा की थी। गौरतलब है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां जैसे इंडियनऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम आमतौर पर ग्लोबल टेंडर के जरिए मध्यस्थों से रूसी तेल खरीदती रही हैं, जबकि निजी कंपनियां सीधे सौदे करती हैं।
चेन्नई पेट्रोलियम की खरीद में गिरावट
दिलचस्प बात यह है कि इंडियनऑयल की सहायक कंपनी चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (CPCL) द्वारा रूसी तेल का आयात अक्टूबर में आधा रह गया है- जो अमेरिकी प्रतिबंधों की घोषणा के साथ ही मेल खाता है।
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