
नई दिल्ली । राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के मौके पर एनएसए अजित डोभाल (Ajit Doval) ने देश की सुरक्षा को लेकर अपने विचार रखे। उन्होंने सरकार की शक्ति को राष्ट्र की शक्ति बताते हुए कहा कि कमजोर सरकार और बिखरा हुआ समाज लोकतंत्र (Democracy) के पतन का कारण बनते हैं। डोभाल ने जोर देकर कहा कि किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा और उसके उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक प्रभावी सरकार और शासन का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी देश के भविष्य को आकार देने के लिए उसकी स्थिरता जरूरी है, और स्थिरता सुनिश्चित करने में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
सरदार पटेल स्मारक में लोगों को संबोधित करते हुए डोभाल ने कहा, “मैं एक सुरक्षा अधिकारी के तौर पर शासन प्रक्रिया के प्रति अपना दृष्टिकोण आपके सामने रखता हूं। मेरा मानना है कि शासन राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में, साथ ही राष्ट्र की सुरक्षा और उसके लक्ष्यों व आकांक्षाओं को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”
डोभाल ने हाल के समय में बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में हुए सत्ता परिवर्तन का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों असंवैधानिक तरीके से हुआ सत्ता परिवर्तन खराब गवर्नेंस का परिणाम है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश चाहे कितना फी ताकतवर क्यों न हो, अगर उसकी सरकारें कमजोर और भटकी हुई हैं, या निजी स्वार्थ से प्रभावित हैं, तो परिणाम यही होते हैं।
उन्होंने कहा, “इतिहास इस बात का गवाह है कि किसी भी साम्राज्य, राजशाही या लोकतंत्र का उत्थान और पतन उसकी शासन व्यवस्था पर ही निर्भर करता है। अच्छी व्यवस्था राष्ट्र का निर्माण करती है, जबकि खराब मजबूत से मजबूत देश को भी तोड़ देती है। संस्थान राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी होते हैं और सरकारें इन्हीं संस्थानों के जरिए काम करती हैं, ऐसे में जो भी लोग इन संस्थानों को बनाते हैं पोषित करते हैं वही असली राष्ट्र निर्माता होते हैं।”
परिवर्तन से गुजर रहा भारत: डोभाल
सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कहा कि भारत इस समय पर परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। शासन, समाज और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति तीनों जगह ही परिवर्तन आ रहा है। ऐसे दौर में देश को स्पष्ट दृष्टि और मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में सरदार पटेल जैसे विजन की कहीं ज्यादा जरूरत है क्योंकि उन्होंने कठिन दौर में भी यह करके दिखाया है कि किसी सभ्यता को एक राष्ट्र के रूप में कैसे बदला जाता है और इसमें गवर्नेंस और सरकार की क्या भूमिका है। डोभाल ने कहा कि शासन का असली उद्देश्य जनता के हितों की पूर्ति करना है। हमें हमारी नीतियों और कानूनों को जनता के लिए सरल बनाने होगा, जब लोगों को लगेगा कि सिस्टम उनके साथ है, तो राष्ट्र भी मजबूत होगा।
लोकतंत्र की खामियों पर बोले डोभाल
डोभाल ने लोकतंत्र के अंदर पनप रहीं खामियों का भी जिक्र करते हुए उन पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र एक शानदार प्रणाली है, लेकिन इसके अपने खतरे हैं। उदाहरण के तौर पर आज अगर मेरे पास 100 लोगों में से 25 लोगों का समर्थन हैं, तो में बाकी 75 को बांटकर सत्ता में आ सकता हूं। अब मेरा लक्ष्य 51 फीसदी का बहुमत हासिल करना नहीं है, बल्कि समाज को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटना है। इस सब की वजह से राजनीति की प्रवृत्ति राष्ट्र निर्माण से हटकर विभाजन की हो रही है।
डोभाल ने राजनीति में पैसे के उपयोग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पैसा चाहे वैध हो या अवैध लेकिन यह अब राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने लगा है। हर किसी को पैसे का सहारा चाहिए। ऐसे में कई बार राष्ट्रीय हित छोटे और निजी स्वार्थों की वजह से पीछे रह जाते हैं।
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