
नई दिल्ली । चीन (China) ने अपने यहां सोने (Gold) पर दी जा रही पुरानी टैक्स (Tax) छूट को समाप्त कर दिया है। यह फैसला नवंबर 2025 से लागू हो गया है। इसका सीधा असर यह होगा कि चीन में सोने की खुदरा कीमतें तीन से पांच फीसदी तक बढ़ जाएंगी। इसका सीधा असर वैश्विक सोने के बाजार पर भी देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने के दाम में फिर से तेजी देखने को मिल सकती है।
चीन के वित्त मंत्रालय के नए नियम के अनुसार, 1 नवंबर 2025 से खुदरा विक्रेता शंघाई गोल्ड एक्सचेंज से खरीदे गए सोने पर वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) की छूट नहीं ले पाएंगे। चाहे सोना सीधे बेचा जाए या प्रोसेसिंग के बाद। यह नियम उच्च शुद्धता वाली सोने की छड़ों और सिक्कों पर लागू होगा। साथ ही यह गहनों और औद्योगिक इस्तेमाल में होने वाले सोने की बिक्री पर भी असर डालेगा।
इसका सीधा असर यह होगा कि चीन में सोने की खुदरा कीमतें तीन से पांच फीसदी तक बढ़ जाएंगी। चीन के इस फैसले से वैश्विक बुलियन मार्केट में हलचल तेज हो गई है। विशेषज्ञ चीन के इस कदम को उसकी कमजोर होती अर्थव्यवस्था और सरकार की राजस्व बढ़ाने की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
भारत पर ऐसे असर
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता देश है और यहां की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे जुड़ी होती हैं। चीन में टैक्स बढ़ने से वैश्विक सोने की कीमतें ऊपर जाने पर भारत में भी सोना महंगा होगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत में सोने की दर करीब तीन से पांच फीसदी तक बढ़ सकती है। ज्वेलरी कारोबार पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। सोना महंगा होने से उपभोक्ताओं की खरीदारी घटेगी, जिससे विक्रेताओं की दबाव बढ़ सकता है।
कीमतों में उछाल के आसार
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन दुनिया का सबसे बड़े सोना उपभोक्ता देशों में से एक है। वहां अगर टैक्स बढ़ता है तो वैश्विक मांग और कीमतों पर असर पड़ना तय है। टैक्स छूट खत्म होने से सोने की खरीद महंगी होगी, जिससे चीन में उपभोक्ता मांग घट सकती है। लेकिन इसकी भरपाई अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ाकर की जाएगी। इससे सोने के वायदा भाव और अंतरराष्ट्रीय स्पॉट मार्केट में तेजी देखने को मिल सकती है।
इस हफ्ते सोने की कीमतें सीमित दायरे में रह सकती हैं
विश्लेषकों का कहना है कि इस हफ्ते सोने की कीमतें सीमित दायरे में रह सकती हैं, क्योंकि निवेशकों की नजर अब अहम आर्थिक आंकड़ों और नीतिगत घटनाओं पर है, जिसमें पांच नवंबर को अमेरिका के उच्चतम न्यायालय में होने वाली शुल्क से जुड़ी सुनवाई भी शामिल है। विश्लेषकों के अनुसार, आने वाले दिनों में निवेशक वैश्विक विनिर्माण और सेवा क्षेत्र से जुड़े पीएमआई आंकड़ों, चीन के व्यापार और वृद्धि दर के आंकड़ों के साथ-साथ अमेरिका के रोजगार, उपभोक्ता भावना और मुद्रास्फीति से जुड़े संकेतकों पर भी नजर रखेंगे।
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