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अमेरिकी चुनावों में ट्रंप को झटका, जानें उन तीन भारतीय मूल के मुसलमानों के नाम और जीत का राज

November 06, 2025

नई दिल्‍ली । अमेरिका(America) में डोनाल्ड ट्रंप(Donald Trump) को नवंबर 2024 में राष्ट्रपति(President) बनने के बाद पहली बड़ी राजनीतिक(political) हार झेलनी पड़ी है। मंगलवार को हुए स्थानीय चुनावों में भारतीय मूल के तीन मुस्लिम नेताओं जोहरान ममदानी, गजाला हाशमी और आफताब पुरेवाल ने डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर बड़ी जीत दर्ज की है। इससे रिपब्लिकन पार्टी की रफ्तार को झटका लगा है। इन चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही खुद हिस्सा नहीं लिया, लेकिन उनके समर्थन और प्रभाव से जुड़ी कई सीटों पर मतदाताओं ने ट्रंप की नीतियों को खारिज किया।


न्यूयॉर्क सिटी में जोहरान ममदानी ने पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। ट्रंप ने कुओमो को खुला समर्थन दिया था और चेतावनी दी थी कि अगर ममदानी जीते तो फेडरल फंडिंग रोक दी जाएगी। 34 वर्षीय ममदानी की मां प्रसिद्ध फिल्मकार मीरा नायर हैं, जबकि उनके पिता मह्मूद ममदानी कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं और उनका पैतृक संबंध गुजरात से है। ममदानी का जन्म युगांडा की राजधानी कंपाला में हुआ और वे सात साल की उम्र में न्यूयॉर्क सिटी आ गए थे। 2018 में उन्हें अमेरिकी नागरिकता मिली। इस साल उन्होंने सीरियाई-अमेरिकी कलाकार रमा दुवाजी से शादी की। वे जनवरी 2026 में पदभार ग्रहण करेंगे।

गजाला हाशमी

वर्जीनिया में गजाला हाशमी ने रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन रीड को हराकर इतिहास रच दिया। वे वर्जीनिया में किसी भी राज्यव्यापी पद पर चुनी जाने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी और मुस्लिम महिला बनीं। 1964 में हैदराबाद में जन्मी हाशमी बचपन में ही परिवार के साथ अमेरिका चली गई थीं। उनका पैतृक संबंध कराची (अब पाकिस्तान) से है। उन्होंने जॉर्जिया साउदर्न यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में बीए और एमोरी यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है।

हाशमी पहले 2019 में राज्य सीनेट चुनाव जीतकर वर्जीनिया की राजनीति में उभरी थीं। इस बार उन्होंने दक्षिण एशियाई और प्रवासी समुदायों को जोड़कर अपनी जीत को सुनिश्चित किया।

आफताब पुरेवाल

43 वर्षीय आफताब पुरेवाल ने उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस के सौतेले भाई रिपब्लिकन उम्मीदवार कोरी बोमन को हराकर सिनसिनाटी के मेयर के रूप में दूसरा कार्यकाल जीता। पुरेवाल का जन्म ओहायो में हुआ। उनके पिता पंजाबी मूल के हैं और मां तिब्बती शरणार्थी। वे 2021 में सिनसिनाटी के पहले एशियाई-अमेरिकी मेयर बने थे। कानून की पढ़ाई के बाद उन्होंने अमेरिकी न्याय विभाग और फिर प्रॉक्टर एंड गैंबल (P&G) में काम किया। 2016 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्जीनिया सहित कई राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं ने कहा कि उनका वोट ट्रंप की नीतियों के खिलाफ था। खासकर उनकी टैरिफ और इमिग्रेशन नीतियों से लोगों में असंतोष है।

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने डेमोक्रेटिक विजेताओं को बधाई देते हुए कहा, “जब हम दूरदर्शी, ईमानदार और लोगों के मुद्दों पर केंद्रित नेताओं के साथ खड़े होते हैं, तो जीत हमारी होती है। आगे का रास्ता लंबा है, लेकिन आज की रात ने भविष्य को थोड़ा और उजला कर दिया।”

इन जीतों ने न केवल डेमोक्रेटिक पार्टी में नई ऊर्जा भरी है, बल्कि 2026 के मिड-टर्म चुनावों और 2028 के राष्ट्रपति चुनावों की दिशा भी तय कर सकती हैं।

भारतीय मूल के इन तीन मुस्लिम नेताओं की सफलता ने अमेरिकी राजनीति में विविधता और समावेशन की नई मिसाल कायम की है।

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