
नई दिल्ली। दिल्लीवाले (Delhiites) गुरुपूर्व की मिठास में डूबे थे, लेकिन रात भर पटाखों (Fireworks all Night) की बौछार और पंजाब से आते धुएं ने शहर को जहरीली चादर (Smoke Toxic Blanket) ओढ़ा दी। गुरुवार को एक ही दिन में AQI ने 100 से ज्यादा पॉइंट्स की छलांग लगा दी। सुबह के 202 से शाम 4 बजे तक 311 पर जा पहुंचा। ये बहुत खराब श्रेणी में है। प्रदूषण की वजह से लोगों को आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्या देखने को मिल रही है।
पराली के धुएं से बढ़ा प्रदूषण
बुधवार रात गुरुपूर्व पर कई इलाकों में अवैध पटाखे फूटे, जो लोकल प्रदूषण का बड़ा सोर्स बने। ऊपर से पंजाब-हरियाणा (Punjab-Haryana) की पराली जलाने का धुआं उत्तर-पश्चिमी हवाओं के साथ दिल्ली पहुंच गया। शांत हवाएं और गिरता तापमान ने सबकुछ फंसा कर रख दिया। इसकी वजह से राजधानी पर धुंध की मोटी परत छा गई। बुधवार को नीला आसमान था, गुरुवार सुबह ग्रे हेज ने सबकुछ धुंधला कर दिया।
केंद्र के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के मुताबिक, गुरुवार को दिल्ली के PM2.5 में पराली का हिस्सा 9.48% था। ये इस सर्दी का अब तक का हाई था। शुक्रवार को ये 38% तक पहुंच सकता है। पिछले साल नवंबर के पहले हफ्ते में ये 35% तक गया था, 2021 में तो 48% का रिकॉर्ड बना। अक्टूबर 28 को सिर्फ 5.87% था, लेकिन अब रफ्तार पकड़ ली है। वीकेंड में थोड़ी राहत – शनिवार को 25.3%, रविवार को 31.76%। क्योंकि हवाएं तेज होंगी, लेकिन वो ही धुआं ला भी रही हैं।
एक्सपर्ट की चेतावनी
पर्यावरण थिंक टैंक एनवायरोकैटलिस्ट के फाउंडर सुनील दहिया ने कहा, “बुधवार रात पटाखे और वाहनों से लोकल एमिशन जमा हो गए। हवाएं सुबह तक शांत रहीं, दोपहर में थोड़ी चलीं तो कुछ फैलाव हुआ। लेकिन आने वाले दिनों में उत्तर-पश्चिमी हवाएं पराली का धुआं और लाएंगी।”
PM2.5 का राज
खराब हवा का सबसे बड़ा विलेन PM2.5 है, वो बारीक कण जो जलने से पैदा होते हैं। कल ओजोन और PM2.5 दोनों थे, मतलब अब फोकस शिफ्ट हो गया है बर्निंग सोर्सेज पर। जांच में पता चला कि औपचारिक AQI कैलकुलेशन में डेटा गायब, संदिग्ध पैटर्न और लूपहोल्स हैं। असल प्रदूषण इससे भी बदतर हो सकता है।
पूरे शहर में रेड अलर्ट
दिल्ली के 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों में 29 ‘बहुत खराब’ कैटेगरी में, बाकी ‘खराब’ श्रेणी में हैं। एयर क्वालिटी वॉर्निंग सिस्टम के अनुसार रविवार तक यही हाल रहेगा। डिसीजन सपोर्ट सिस्टम चार दिन चुप रहा, सवालों के बाद नवंबर 4 को अपडेट हुआ। 1-2 नवंबर का डेटा अभी भी गायब – वो दिन जब पराली का पीक होता है। पंजाब में बाढ़ से फसल देर हुई, फिर भी 15 सितंबर से 6 नवंबर तक 3,284 आग के धब्बे (पिछले साल 5,041 थे)। हरियाणा में 206 vs 888।
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