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बिहार चुनाव में रिकॉर्ड वोटिंग, बूथों तक कैसे खिंचे चले आए मतदाता… ये रहे 5 बड़े फैक्टर

November 12, 2025

पटना। बिहार (Bihar) में 18वीं विधानसभा चुनाव (18th Assembly Elections) में इस बार रिकॉर्ड मतदान (Record Voting) हुआ है। यह पिछले चुनाव से 9.6 फीसदी ज्यादा है। एनडीए सरकार (NDA Government) की ओर से की गई पहल और महागठबंधन के वादे इसके कारण हैं ही, जनसुराज ने शुरुआती दौर में युवाओं के भविष्य का एजेंडा तय किया। आगे की बहस और पहल उसी पर केंद्रित रही। कई दिग्गजों और उनके साथ जुड़े नेताओं के लिए अंतिम पारी जैसा है तो नई पीढ़ी के नेताओं के लिए नए अवसर जैसा। ऐसे में इन दोनों पीढ़ी के नेताओं ने भी पूरी ताकत झोंक दी। रही सही कसर पक्ष-विपक्ष में ध्रुवीकरण ने पूरी कर दी।


रिकॉर्ड मतदान के पांच बड़े फैक्टर-:
जनसुराज ने पृष्ठभूमि तैयार की
जनसुराज ने विधानसभा चुनाव को लेकर एक व्यापक पृष्ठभूमि तैयार की। इसमें युवा, रोजगार, पलायन, बेहतर शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के बेहतर भविष्य के सपने दिखाए गए। शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर पार्टी ने बार-बार अपना पक्ष लोगों के बीच रखा। उसने बच्चों के भविष्य पर मतदान की अपील की। यह लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ। इसने नया नैरेटिव तय दिया। इसके कारण कई अन्य दलों ने भी इसको लेकर आक्रामक रणनीति तैयार की। वामदल भी इन मुद्दों पर सक्रिय हुआ। इसके बाद रोजगार, नौकरी जैसे मुद्दे और तेजी से चर्चा में आए। इसने मतदाताओं पर भी प्रभाव डाला। इन मुद्दों को लेकर वे काफी मुखर हुए।

विपक्ष ने भी सपने दिखाए
सरकारी घोषणा के बीच विपक्ष का प्रभावी हस्तक्षेप हुआ। राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की तरह विपक्षी महागठबंधन ने भी आम जनता के लिए कई बड़ी घोषणाएं कीं। हर घर से एक सरकारी नौकरी देने और महिलाओं के खाते में 30 हजार भेजे जाने की घोषणा का भी लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा विपक्ष की ओर से अपराध के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई का ऐलान किया गया और कहा गया कि सभी अपराधियों को शीघ्र जेल भेजा जाएगा। इससे विपक्ष की ओर से एक सशक्त सरकार बनाने की रूपरेखा पेश की गयी। बड़ी संख्या में लोगों ने इस वादे पर भरोसा जताया।

सहूलियतें और उम्मीदें
इस चुनाव में सरकार की तरफ प्रदेश के लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की गयी। यही नहीं, कई योजनाओं का लाभ भी उन्हें सीधे मिला। 125 यूनिट बिजली मुफ्त करने के साथ ही महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को 10-10 हजार रुपये देने का राज्य सरकार ने न केवल निर्णय लिया, बल्कि इस पैसे का भुगतान भी शुरू हो गया। विभिन्न चरणों में डेढ़ करोड़ से अधिक महिलाओं को इसका लाभ मिला। महिला रोजगार योजना के तहत बेहतर काम करने वाली महिलाओं को दो लाख रुपये और मिलना है, यह भी उनके अंदर नयी उम्मीद लेकर आया। इससे महिलाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। वे खुलकर बाहर निकलीं।

ध्रुवीकरण दर ध्रुवीकरण
इस चुनाव में ध्रुवीकरण की अहम भूमिका रही। एनडीए और महागठबंधन दोनों ओर से ध्रुवीकरण हुआ। पूरा चुनाव दो ध्रुवों में स्पष्ट बंटा दिखा। इसके अलावा खास क्षेत्र में जनसुराज और एआईएमआईएम की ओर से भी ध्रुवीकरण हुआ। विभिन्न मुद्दों पर लोगों के बीच मत बनाने के क्रम में यह और तेज हुआ। ध्रुवीकरण के कारण भी मतदाता आक्रामक होकर मतदान के लिए बाहर निकले। एक पक्ष को अत्यधिक उत्साहित देख दूसरी ओर भी मतदान के लिए ध्रुवीकरण हुआ।

पारी और बारी
यह विधानसभा चुनाव कई लोगों के लिए मधुर स्मृतियां जैसी हैं। नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और रामविलास पासवान से जुड़े नेताओं में से कई के लिए यह अंतिम चुनाव है। वे अपनी अंतिम सियासी पारी खेल रहे हैं। इनमें से कई दलीय नेताओं के टिकट भी कटे। कई बागी हुए तो कई दल से टिकट पाकर चुनाव लड़ रहे हैं। लिहाजा, उनकी तरफ से पूरी कोशिश की गयी। उनकी भावनात्मक अपील का भी मतदाताओं पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है। वे अपने नेता के पक्ष में गोलबंद हुए। मतदान के लिए बाहर निकले।

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