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अब द. कोरिया बनाएगा न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, भारत समेत सिर्फ 6 देशों के पास ये तकनीक

November 16, 2025

नई दिल्ली: दक्षिण कोरिया (South Korea) की सरकार ने बताया कि उसने अमेरिका (America) के साथ न्यूक्लियर सबमरीन बनाने का समझौता किया है. व्हाइट हाउस के मुताबिक, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया को न्यूक्लियर अटैक सबमरीन बनाने की मंजूरी दी है. समझौते में यह भी तय हुआ है कि अमेरिका इन पनडुब्बियों के लिए फ्यूल देगा और तकनीकी सहयोग भी करेगा.

दुनिया में फिलहाल सिर्फ 6 देशों के पास ही परमाणु-संचालित पनडुब्बियां है. इनमें अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल हैं. दक्षिण कोरिया के पास लगभग 20 पनडुब्बियां हैं, लेकिन ये डीजल से चलती हैं. इन पनडुब्बियों को बार-बार पानी से ऊपर आना पड़ता है. वहीं न्यूक्लियर सबमरीन तेज, शक्तिशाली और लंबे समय तक पानी में रहने में सक्षम होती हैं.


यह समझौता उस समय हुआ, जब दोनों देशों ने पिछले महीने ट्रेड डील किया था. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगा दिया था. राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने इसे 15% तक कम करवाया. इसके बदले दक्षिण कोरिया ने कहा कि वह अमेरिका में 350 अरब डॉलर निवेश करेगा. 200 अरब नकद और 150 अरब शिपबिल्डिंग में.

उत्तर कोरिया हाल ही में अपनी परमाणु पनडुब्बी बना रहा है और उसने मार्च 2025 में इसकी तस्वीरें जारी की थीं. माना जाता है कि रूस इसमें उसकी मदद कर रहा है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली ने APEC सम्मेलन में ट्रंप से कहा कि उन्हें उत्तर कोरिया का सामना करने के लिए न्यूक्लियर सबमरीन चाहिए.

दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री आन ग्यु-बैक ने कहा कि परमाणु पनडुब्बियां देश के लिए गौरव होंगी. इससे उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन चिंता में रहेंगे. उत्तर कोरिया के पास लगभग 50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है और वह आने वाले कुछ सालों में अपनी पनडुब्बियां तैयार कर सकता है. अमेरिका चाहता है कि दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया और चीन पर दबाव बढ़ाने में उसकी मदद करे. विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण कोरिया क्षेत्र में अमेरिका का महत्वपूर्ण साथी बन जाएगा.

ट्रंप ने कहा कि ये पनडुब्बियां अमेरिका के फिलाडेल्फिया में बनाई जाएंगी, जहां दक्षिण कोरियाई कंपनी Hanwha (हांव्हा) का शिपयार्ड है. हालांकि दक्षिण कोरिया का कहना है कि ये पनडुब्बियां उनके देश में बननी चाहिए, क्योंकि फिलाडेल्फिया शिपयार्ड में इतनी क्षमता नहीं है. दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री किम मिन-सोक ने भी कहा कि फिलाडेल्फिया का शिपयार्ड इस स्तर की पनडुब्बी नहीं बना सकता. अब दोनों देशों को न्यूक्लियर फ्यूल समझौता अपडेट करना होगा, ताकि अमेरिका दक्षिण कोरिया को न्यूक्लियर फ्यूल सप्लाई कर सके.

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