
उज्जैन। डायल 112 की स्क्रीन पर कंट्रोल रूम से पॉइंट तय किया जाता है कि उसे किस स्थान पर खड़ा होना है। गाड़ी जब मैसेज के आधार पर मैप को फॉलो करती है तो वह अन्य स्थान के पास पहुंच जाती है और वहां खड़ी हो जाती है। यह स्थिति अकेले उज्जैन की नहीं, मप्र की करीब 15 हजार संवेदनशील लोकेशन्स की है। आपात स्थिति में मदद पहुंचाने वाली इमरजेंसी सेवा डायल 112 इन लोकेशंस के जियोग्राफिकल कॉर्डिनेट्स (अक्षांश व देशांतर की स्थिति) की सिस्टम में गलत फीडिंग से यह हालात बने हैं। लगातार शिकायतों के बाद पुलिस की रेडियो शाखा ने सभी 15 हजार लोकेशन के अक्षांश-देशांतर की फीडिंग में आई गड़बड़ी को सुधरवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पहले (डायल-100) इमरजेंसी सेवा का ज्यादातर काम मैनुअल तरीके से होता था। नई डायल-112 सेवा को कंप्यूटर एडेड डिस्पैच (सीओडी) सिस्टम से संचालित किया जा रहा है। यदि कोई कॉलर मदद के लिए डायल-112 पर कॉल करता है तो उसकी लोकेशन के इर्द-गिर्द की एफआरवी को सीओडी ही सर्च करेगा, उसकी शिकायत का फॉर्म इसी सीओडी से खुलेगा और एफआरवी में बैठे पुलिसकर्मियों को स्क्रीन पर कॉलर की लोकेशन भी सीओडी से ही नजर आएगी। सीओडी पर प्रदेशभर के पुलिस अधीक्षकों से मंगवाई गई 15 हजार लोकेशन फीड हैं। यह वह लोकेशंस हैं, जिन्हें पुलिस अधीक्षकों ने अपने जिलों में कानून व्यवस्था, अपराध के स्थान या सेंसटिव स्पॉट मानते हुए बनाया था। सूत्रों का कहना है कि इन लोकेशंस को सीओडी में फीड करने के दौरान अक्षांश-देशांतर का अंतर रह गया। इसलिए सीओडी से जनरेट हो रही रेंडम लोकेशन में परेशानी आ रही है। अब इसे रीचैक किया जा रहा है। डायल 112 से संबंधित अधिकारियों का कहना है कि नया सिस्टम आता है तो उसमें बहुत सी चुनौतियां भी आती हैं। विभिन्न स्थानों की लोकेशन को सुधारकर और डायल-112 का कस्टमाइजेशन कर इस इमरजेंसी सिस्टम को और बेहतर बना रहे हैं।