
नई दिल्ली । महाराष्ट्र (Maharashtra)की देवेंद्र फडणवीस सरकार(Devendra Fadnavis government) में शायद ऑल इज वेल नहीं है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे (Deputy CM Eknath Shinde)और उनके मंत्रियों की नाराजगी की अकसर खबरें आती रहती हैं। इस बीच मंगलवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के मंत्री नहीं पहुंचे। इस मीटिंग अपनी पार्टी की तरफ से डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे अकेले ही बैठे रहे, लेकिन उनके दल का कोई और मंत्री नहीं आया। इस दौरान सारे मंत्री मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे हुए थे। जानकारी मिली है कि मीटिंग के बाद ये मंत्री सीएम फडणवीस से मिलने वाले हैं। हालांकि इस संबंध में जब पूछा गया तो मंत्रियों ने कहा कि हमारी पार्टी की एक मीटिंग थी, इसलिए उधर नहीं गए।
इसके बाद भी यह सवाल तो उठता ही है कि आखिर कैबिनेट मीटिंग के दौरान ही पार्टी की बैठक क्यों रखी गई थी। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के मंत्री इसलिए दूर रहे ताकि वे भाजपा को संदेश दे सकें कि जैसा हो रहा है, वह स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह पूरा मामला बीएमसी चुनाव से पहले शुरू हुआ है। डोंबिवली में कई शिवसैनिकों को भाजपा जॉइन कराई गई है। सहयोगी दल के नेताओं को अपने साथ लाने की कोशिश ने गठबंधन में दरार पैदा कर दी है। पहले भी दोनों दलों के बीच गार्जियन मिनिस्टर के पद को लेकर विवाद छिड़ चुका है। इसके बीच डोंबिवली प्रकरण ने आग में घी डालने का काम किया है।
मीटिंग खत्म करके जब सीएम देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचे तो वहां शिवसेना के मंत्रियों ने उनसे मुलाकात की। इन लोगों ने डोंबिवली को लेकर शिकायत की कि आखिर भाजपा को वहां हमारे नेताओं को तोड़ने की जरूरत क्या थी। इस पर फडणवीस ने कहा कि इसकी शुरुआत तो आपकी तरफ से ही हुई थी। उन्होंने कहा कि पड़ोस के जिले उल्हासनगर में भाजपा के कई सदस्यों को शिवसेना जॉइन कराई गई थी। उसके बाद ही हमने डोंबिवली में शिवसेना के लोगों को अपने पाले में लिया। उन्होंने कहा कि जब आप लोग दूसरे दलों के नेताओं को तोड़ लेते हैं तो फिर आपको भी शिकायत करने का हक नहीं है। वहीं शिवसेना नेताओं ने कहा कि ऐसी घटनाएं होना गलत है।
जिलों के प्रभारी मंत्रियों को लेकर भी छिड़ चुका है विवाद
बता दें कि रायगड़ समेत दो जिलों के प्रभारियों को लेकर भी विवाद हो चुका है। यही नहीं एकनाथ शिंदे गुट की ओर से यह शिकायत भी की जाती रही है कि उनसे ज्यादा तो अजित पवार और उनके समर्थकों को सरकार में ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। इसे लेकर कई बार खींचतान हो चुकी है और अब नया विवाद बीएमसी चुनाव से ठीक पहले छिड़ गया है। बता दें कि बीएमसी चुनाव में यह गठबंधन बिखर भी सकता है।
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