
नई दिल्ली: एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले साल मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में घरेलू एविएशन इंडस्ट्री का शुद्ध घाटा लगभग दोगुना होकर 9,500 से 10,500 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. इस नुकसान का प्रमुख कारण पैसेंजर्स की संख्या में स्लो ग्रोथ और विमानों की डिलीवरी के कारण बढ़ी हुई लागत हो सकता है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने स्टेबल आउटलुक बनाए रखते हुए और वित्त वर्ष 26 में डॉमेस्टिक पैसेंजर ट्रैफिक में 4-6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाते हुए कहा कि एयरलाइन इंडस्ट्री का वित्तीय प्रदर्शन दबाव में रहने का अनुमान है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियन एविएशन सेक्टर को वित्त वर्ष 2026 में 95-105 अरब रुपए का व्यापक शुद्ध घाटा होने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2025 में 55 अरब रुपये का अनुमानित घाटा है. यह गिरावट यात्री संख्या में धीमी वृद्धि और विमानों की बढ़ी हुई डिलीवरी से जुड़ी है. जिससे कैपिटल और ऑपरेशनल कॉस्ट में इजाफा देखने को मिला है. इक्रा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 के लिए उद्योग का इंट्रस्ट कवरेज रेश्यो 1.5 से 1.7 गुना के बीच रहेगा. एजेंसी ने यह भी कहा कि अपेक्षित घाटा वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में दर्ज क्रमशः 21,600 करोड़ रुपए और 17,900 करोड़ रुपए से काफी कम है. पिछले वित्त वर्ष में, पैसेंजर ट्रैफिक ग्रोथ 7.6 फीसदी रही, यानी कुल यात्री संख्या 16.53 करोड़ रही.
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा पार तनाव, वैश्विक व्यवधान, जून 2025 के विमान हादसे के बाद यात्रा में हिचकिचाहट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल ऑपरेशन से संबंधित हालिया व्यवधानों के कारण चालू वित्त वर्ष में वृद्धि की संभावनाएं मध्यम रहने की उम्मीद है. अक्टूबर में, घरेलू हवाई यात्री यातायात 1.43 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो साल-दर-साल 4.5 प्रतिशत की वृद्धि और सितंबर की तुलना में 12.9 फीसदी की क्रमिक वृद्धि है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैवल डिमांड में इस गति को क्षमता में विस्तार से बल मिला है, अक्टूबर के दौरान घरेलू प्रस्थान लगभग 99,816 तक पहुंच गए, जो क्रमिक रूप से 10.8 फीसदी और साल-दर-साल 1.7 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है.
सप्लाई चेन की अड़चनें और इंजन की खराबी से संबंधित विमानों का रुकना भी उद्योग को प्रभावित कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2025 तक, चुनिंदा एयरलाइनों के लगभग 133 विमान खड़े थे, जो कुल उद्योग बेड़े का 15-17 प्रतिशत है. इन ऑपरेशनल संबंधी रुकावटों के कारण कॉस्ट में वृद्धि हुआ है, जिसमें खड़े होने से संबंधित खर्च, प्रतिस्थापन विमानों के लिए अधिक लीज किराया और ईंधन दक्षता में कमी शामिल है.
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