
नई दिल्ली । सीजेआई बीआर गवई (CJI BR Gavai) ने कहा कि वे एक सेक्युलर इंसान हैं (He is a Secular Person) और सभी धर्मों में विश्वास करते हैं (Believes in all Religions) । वे 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं ।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड की तरफ से उनके लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हालांकि वे बौद्ध धर्म को अपनी आस्था के तौर पर मानते हैं, लेकिन वे सच में एक सेक्युलर इंसान हैं, जो हिंदू धर्म, सिख धर्म, इस्लाम और अन्य सभी धर्मों में विश्वास करते हैं। सीजेआई गवई ने आगे कहा कि वह सेक्युलर हैं और इसे उन्होंने अपने पिता से सीखा है। उन्होंने बताया कि उनके पिता भी सेक्युलर थे और डॉ. भीमराव अंबेडकर के पक्के अनुयायी थे। सीजेआई ने कहा कि उनके पिता जब भी राजनीतिक कामों के लिए अलग-अलग जगहों पर जाते थे, तो उनके दोस्त पूछते थे कि सर यहां चलो, यहां की दरगाह मशहूर है, ये गुरुद्वारा मशहूर है। मुझे इसी तरह पाला गया है, सभी धर्मों का सम्मान करना है।
उन्होंने कहा कि लगभग दो दशकों तक जज रहने के बाद, आज मैं जो कुछ भी हूं, वह इस संस्थान (ज्यूडिशियरी) की वजह से हूं। मुझे देश में ज्यूडिशियरी के इस संस्थान का शुक्रिया अदा करना चाहिए। सीजेआई गवई ने कहा कि एक म्यूनिसिपल स्कूल में पढ़ने से लेकर देश के सबसे ऊंचे ज्यूडिशियल ऑफिस तक पहुंचने का उनका सफर, भारत के संविधान, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल्यों की वजह से मुमकिन हुआ। इन मूल्यों ने उन्हें हर समय मार्गदर्शन किया।
सीजेआई गवई ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट कभी भी किसी एक व्यक्ति के आस-पास नहीं होना चाहिए, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फैसले पूरी कोर्ट के साथ मिलकर लिए जाने चाहिए और ज्यूडिशियरी का काम जजों, बार, रजिस्ट्री और स्टाफ सहित सभी स्टेकहोल्डर्स की भागीदारी पर निर्भर करता है। सीजेआई गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 14 मई 2025 को वह चीफ जस्टिस बने थे। सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को हुआ था और वे 65 वर्ष के हैं। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष है।
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