
होटल लैंटर्न की जमीन का मालिक कौन, अब जिला कोर्ट से होगा तय
इंदौर। ट्रस्ट की जमीन (Trust land) को शर्तों के विपरित बेच दिए जाने का मामला कुछ समय पूर्व उजागर हुआ था और अग्रिबाण ने भी इस पूरे मामले का भंडाफोड़ किया, जिसमें होटल लेंटर्न (Hotel Lantern) की जमीन किस तरह निजी बिल्डर (private builder) को बिकी और उसमें स्टाम्प ड्यूटी चोरी (stamp duty evasion) का भी मामला दर्ज हुआ। साथ ही तत्कालीन कलेक्टर नेअनुमतियों को निरस्त करने के साथ ही नगर निगम को भी कार्रवाई केनिर्देश दिए, जिस पर निगम ने इस जमीन पर अपना स्वामित्व जताते हुए नोटिस भी जारी किए।
अभी सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम द्वारा पेश की गई याचिका का इस आदेश के साथ निराकरण किया कि जिला कोर्ट इस जमीन के स्वामित्व को तय करे। दरअसल, निगम ने चूंकि इस जमीन पर अपना स्वामित्व जताया और दूसरी तरफ होटल के मालिक एचसी ढांडा ने यह जमीन कुछ वर्ष पूर्व बेच दी। हालांकि ट्रस्ट को इस तरह से जमीन बेचने के अधिकार नहीं थे। ढांडा के वारिसों ने एमएसडी रियल इस्टेट फर्म को यह जमीन बेची। निगम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अभिभाषक मनोज मुंशी का कहना है कि निगम को बड़ी राहत मिली है और लेंटर्न होटल की जमीन पर तब तक कोई विकास कार्य नहीं हो सकेगा जब तक कि जिला कोर्ट से स्वामित्व का मामला हल नहीं होता। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पहले जमीन के स्वामित्व का निराकरण जरूरी है, उसके बाद ही विकास कार्य शुरू किया जा सकता है। यानी अब स्वामित्व को तय कराने के लिए नगर निगम जिला कोर्ट में वाद प्रस्तुत करेगा। यह भी उल्लेखनीय है कि लेंटर्न होटल की 75 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक जमीन अत्यंत बेशकीमती है और वर्तमान में इसकी कीमत 500 करोड़ से अधिक आंकी जा सकती है। श्री मुंशी के मुताबिक होटल लेंटर्न के मालिक कैप्टन ढांडा ने जो ट्रस्ट बनाया था उससे होने वाली आय से ही होटल का संचालन और अन्य खर्च निकाले जाने थे, मगर जमीन बेचने का अधिकार नहीं था। मगर कैप्टन की मृत्यु के बाद अन्य ट्रस्टियों ने मनमाने तरीके से प्रस्ताव पास कर जमीन बेचने का निर्णय लिया और कुछ वर्ष पूर्व निजी बिल्डर को यह जमीन बिक गई और उसके बाद फिर इस पर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स निर्माण की मंजूरी मांगी गई और जब यह मामला उजागर हुआ तो निगम ने इस जमीन पर 74 साल पहले खसरों में नाम दर्ज होने के आधार पर अपना स्वामित्व जताया।