
जोहनिसबर्ग. प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) G20 शिखर सम्मेलन (Summit) में पहुंचे। वहां उन्होंने दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के राष्ट्रपति के साथ बात भी की। बातचीत के वक्त दोनों नेता हंसते हुए दिखे। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की इस बैठक से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के शामिल नहीं हुए। फिलहाल ट्रंप के बहिष्कार के बावजूद शिखर वार्ता अपने एजेंडे के साथ आगे बढ़ रही है।
इन मुद्दों पर होगी चर्चा
दक्षिण अफ्रीका ने इस सम्मेलन में जलवायु आपदाओं से लड़ रहे गरीब देशों के लिए मदद बढ़ाने, विदेशी कर्ज में राहत देने और हरित ऊर्जा के लिए सहयोग बढ़ाने जैसे मुद्दों पर सहमति की उम्मीद जताई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने विकसित देशों के सामने इन मुद्दों को स्पष्ट रूप से रखा है। ट्रंप द्वारा दक्षिण अफ्रीका पर एंटी-व्हाइट नीतियों के आरोप के बाद अमेरिका ने सम्मेलन का बहिष्कार किया, जिससे दोनों देशों के बीच महीनों से जारी कूटनीतिक विवाद और गहरा गया।
फ्रांस ने ट्रंप की अनुपस्थिति पर जताया अफसोस
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ट्रंप की गैरमौजूदगी खलती है, लेकिन इससे काम रुकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि इतने बड़े वैश्विक संकटों के बीच यह नेताओं का कर्तव्य है कि वे एकजुट होकर आगे बढ़ें। जी20 में 19 देश, यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ शामिल हैं, जो मिलकर दुनिया की 85 प्रतिशत अर्थव्यवस्था और आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सहमति बनाना चुनौती, घोषणापत्र पर भी विवाद
जी20 प्रायः सर्वसम्मति से काम करता है और जोहान्सबर्ग में भी यही सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि अमेरिका उस पर दबाव डाल रहा है कि सम्मेलन की अंतिम घोषणा को कमजोर किया जाए या इसे केवल मेजबान देश का बयान बनाया जाए। इस पर राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका धमकाया नहीं जाएगा और सभी देशों की सहमति से ही अंतिम घोषणा जारी की जाएगी।
अगली अध्यक्षता अमेरिका के पास
सम्मेलन के अंत में जी20 की घुमंतू अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका को मिल जाएगी। ट्रंप प्रशासन पहले ही जलवायु परिवर्तन और वैश्विक असमानता के मुद्दों को दरकिनार कर चुका है, जिससे अगले वर्ष समूह की दिशा में तेज बदलाव की आशंका है। व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका केवल दूतावास के एक अधिकारी को अध्यक्षता हस्तांतरण समारोह में भेजेगा, जिसे दक्षिण अफ्रीका ने अपमानजनक बताया।
इन तमाम राजनीतिक तनावों के बीच दक्षिण अफ्रीका कोशिश कर रहा है कि पहला अफ्रीकी जी20 सम्मेलन दुनिया के गरीब देशों की आवाज को प्रमुखता दिलाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो। अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या सदस्य देश आपसी मतभेदों के बीच भी एक साझा घोषणापत्र पर सहमत हो पाते हैं या नहीं।
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