
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) बुधवार को होने वाली बैठक में दुर्लभ पृथ्वी स्थायी मैग्नेट (Rare Earth Permanent Magnets) के लिए एक नई प्रोत्साहन योजना (Incentive Scheme) को मंजूरी दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक, इस योजना के लिए लगभग 7,000 करोड़ रुपये का आवंटन प्रस्तावित है, जो पहले के 2,500 करोड़ रुपये के अनुमानित पैकेज से लगभग तीन गुना अधिक है। यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब चीन ने निर्यात नियंत्रण कड़े कर दिए हैं। चीन वैश्विक दुर्लभ पृथ्वी कच्चे माल का 60–70% और प्रोसेसिंग का 90% हिस्सा नियंत्रित करता है।
दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा उत्पादन में होता है। भारत में इस क्षेत्र को अभी भी सीमित फंडिंग, तकनीकी विशेषज्ञता की कमी और लंबी परियोजना के लिए समयसीमा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बिना सरकारी समर्थन के वाणिज्यिक उत्पादन फिलहाल व्यावहारिक नहीं है। इसके अलावा, खनन से जुड़े पर्यावरणीय जोखिम इस क्षेत्र को और जटिल बनाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने भारत में उपयोग के लिए दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट के निर्यात के शुरुआती लाइसेंस जारी किए हैं, लेकिन भारतीय कंपनियों को अब तक कोई लाइसेंस नहीं मिला है। भारत की वार्षिक मांग लगभग 2,000 टन ऑक्साइड की है, जिसे पूरा करने के लिए कई वैश्विक सप्लायर रुचि दिखा रहे हैं। सरकार सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स पर अध्ययन को फंड कर रही है, ताकि भविष्य में दुर्लभ पृथ्वी पर निर्भरता कम की जा सके।
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