
नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने कहा कि भारतीय संविधान के आदर्श (Ideals of the Indian Constitution) सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय पर आधारित हैं (Are based on Social, Economic and Political Justice) ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि संविधान को अपनाने के समय जो तर्क दिए गए थे, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। संविधान बनाने वालों का मकसद था कि इसके जरिए हमारी सामूहिक और व्यक्तिगत गरिमा और आत्म-सम्मान मजबूत बने। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे सांसद और संसद ने पिछले दशकों में जनता की आवाज को प्रभावी तरीके से संसद में पहुंचाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह बात संसद के संविधान सदन में आयोजित 75वें संविधान दिवस कार्यक्रम के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में हमारा संविधान लोगों की उम्मीदों को जाहिर करने के लिए एक बहुत असरदार फ्रेमवर्क देता है। उन्होंने सभी को संविधान दिवस की बधाई दी।
उन्होंने संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सांसदों की मेहनत की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के आदर्श सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल्यों पर आधारित हैं। हमारे संसद सदस्यों ने इन आदर्शों को व्यवहार में उतारने का काम किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है और इसका श्रेय हमारी संस्कृति, संविधान और लोकतंत्र की मजबूत नींव को जाता है। उन्होंने सभी सांसदों और नेताओं की भूमिका की सराहना की, जिन्होंने संविधान के आदर्शों को बनाए रखने में योगदान दिया ।
इस मौके पर उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि 26 नवंबर 1949 को आजाद भारत की संविधान सभा ने हमारे पवित्र संविधान को अपनाया था। उन्होंने सभी भारतवासियों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी और बताया कि 2015 से इसे हर साल मनाया जाता है। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, के.एम. मुंशी और संविधान सभा के अन्य सदस्यों को याद किया और कहा कि संविधान हर पेज पर हमारे देश की आत्मा को दर्शाता है। संविधान का ड्राफ्ट भारत माता के बेहतरीन नेताओं ने संविधान सभा में तैयार किया। यह लाखों देशवासियों की समझ, त्याग और सपनों का परिणाम है। सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा ने कहा कि महान विद्वानों और संविधान सभा के सदस्यों ने करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सोच-समझकर काम किया। उनके निस्वार्थ योगदान ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया। उन्होंने संविधान को समझ, अनुभव, त्याग और उम्मीदों से भरा बताया और कहा कि इसकी आत्मा ने यह साबित किया कि भारत एक है और हमेशा एक रहेगा।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि उनकी दूरदर्शिता, मेहनत और समझदारी का परिणाम इतना शानदार संविधान है, जो हर नागरिक को न्याय, बराबरी और सम्मान देता है। उन्होंने बताया कि संविधान सभा का यह केंद्रीय कक्ष वह पवित्र जगह है, जहां गहरी चर्चा और सोच-विचार के बाद संविधान को आकार दिया गया। ओम बिरला ने कहा कि संविधान के मार्गदर्शन में पिछले सात दशकों में भारत ने सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और अच्छे शासन के लिए नीतियां बनाई हैं। संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है ताकि संविधान में निहित आजादी, बराबरी, भाईचारा और न्याय के सिद्धांतों का सम्मान किया जा सके।
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