
नई दिल्ली । सीजेआई सूर्यकांत (CJI Suryakant) ने कहा कि बार के सदस्यों (Members of Bar) ने संविधान के आदर्शों को बनाए रखने में (In upholding ideals of the Constitution) हमेशा महत्वपूर्ण योगदान दिया (Always made significant Contributions) । सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने विशेष कार्यक्रम आयोजित किया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल रहे।
सीजेआई सूर्यकांत ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि जब कोर्ट को संविधान का पहरेदार माना जाता है, तो बार के सदस्य उस मशाल को उठाते हैं जो हमें संवैधानिक फैसले लेने में मदद करती है। बार के सदस्यों की जिम्मेदारी है कि वे लगातार न्याय और संविधान के आदर्शों को बनाए रखें। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और बार के सदस्यों ने हमेशा संविधान के आदर्शों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बार को संविधान के संरक्षक और न्याय के मार्गदर्शक के रूप में पहचान दी। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस का यह अवसर उनके लिए बेहद खास है, क्योंकि यह उनका पहला सार्वजनिक भाषण है और इस दिन का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इसी दिन भारत के लोगों ने अपने लिए संविधान का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज अपनाया ।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी अपने संबोधन में संविधान निर्माण की प्रक्रिया और इसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में सभी वर्गों के प्रतिनिधि थे और डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इसे बड़ी सावधानी और समझदारी से तैयार किया। मेघवाल ने कहा कि संविधान ने आपातकाल के कठिन समय में भी देश को सही दिशा दिखाई और भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत एक विकसित देश बन जाए। कानून मंत्री ने इंडस्ट्री 4.0 और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान हमें इन बदलावों का सामना करने की ताकत देता है। उन्होंने कहा कि संविधान केवल राजनीतिक क्षेत्र में बराबरी नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी समानता और न्याय सुनिश्चित करता है।
एसजी तुषार मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान की यात्रा 1946 में शुरू हुई और इसे केवल कुछ व्यक्तियों ने नहीं, बल्कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान सभा के सभी सदस्यों ने 165 दिनों तक बहस और विचार-विमर्श के बाद तैयार किया। उन्होंने बताया कि संविधान सभा में पूरे भारत का प्रतिनिधित्व था और प्रत्येक क्षेत्र, धर्म, भाषा और संस्कृति की आवाज को ध्यान में रखा गया। तुषार मेहता ने यह भी बताया कि भारत ने अन्य देशों के संविधान की सर्वोत्तम बातें अपनाई, लेकिन उन्हें भारतीय परिस्थितियों और संस्कृति के अनुसार ढाला। उन्होंने कहा कि संविधान के तीनों अंग (कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका) स्वतंत्र हैं, लेकिन आंतरिक संतुलन बनाए रखा गया है। यदि कोई अंग संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करता है, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है। उन्होंने आम नागरिक की भूमिका को भी याद किया और कहा कि आम लोग ही इस संविधान को जीवित और प्रभावी बनाए रखते हैं।
संविधान दिवस के अवसर पर दिव्यांग आर्टिस्ट अपूर्व ओम ने सीजेआई सूर्यकांत को अपनी स्केच-पेंटिंग भेंट की। अपूर्व के पिता सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। उन्होंने बताया कि अपूर्व की पेंटिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदर्शित हो चुकी है, जिसमें इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) और यूनेस्को हेडक्वार्टर पेरिस शामिल हैं।
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