
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने देश के ऋण ढांचे (Country’s Credit Structure) को और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए साप्ताहिक क्रेडिट स्कोर (Credit Score) अपडेट से जुड़े मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अभी तक बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा क्रेडिट ब्यूरो को ग्राहकों के क्रेडिट डेटा की रिपोर्टिंग हर पखवाड़े या महीने में एक बार की जाती है, लेकिन नए प्रस्ताव के लागू होने पर यह संशोधन हर सप्ताह होगा। इस कदम का मकसद क्रेडिट जानकारी को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाना है।
नए मसौदे के तहत बैंक और अन्य ऋणदाता संस्थान क्रेडिट सूचना कंपनियों जैसे सिबिल, एक्सपीरियन, क्रिफ हाई मार्क, इक्विफैक्स को हर सप्ताह डेटा उपलब्ध कराएंगे। इसके लिए रिपोर्टिंग डेट्स तय होंगी। हर महीने की 7, 14, 21, 28 तारीख और माह के आखिरी दिन का डेटा क्रेडिट ब्यूरो को भेजना अनिवार्य होगा।
इससे उधारकर्ताओं के भुगतान व्यवहार, नई लोन गतिविधि, क्रेडिट कार्ड उपयोग, बकाया राशि और खाता बंद होने जैसी सभी प्रमुख जानकारी लगातार अपडेट होती रहेंगी।
साप्ताहिक संशोधन में केवल पिछले अपडेट के बाद हुए बदलावों को ही भेजना होगा। उदाहरण के लिए, किसी ग्राहक ने मासिक किस्त चुकाई हो, नया लोन लिया हो, क्रेडिट कार्ड बिल भरा हो या कोई खाता बंद किया हो तो वह डेटा उसी सप्ताह रिपोर्ट कर दिया जाएगा। वहीं, महीने के अंत में सभी सक्रिय खातों और हाल ही में बंद हुए खातों की पूरी रिपोर्ट अनिवार्य रहेगी।
नया सिस्टम कब से करेगा काम
आरबीआई ने प्रस्तावित दिशा-निर्देशों में कहा है कि नई प्रणाली एक अप्रैल 2026 से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है, बशर्ते अंतिम दिशा-निर्देश जारी होने के बाद सभी बैंक और संस्थान तकनीकी रूप से तैयार हो जाएं। सभी क्रेडिट संस्थाओं को सिस्टम अपग्रेड, डेटा-सिंक और रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क साप्ताहिक आवृत्ति के अनुरूप तैयार करना होगा।
क्या होता है क्रेडिट स्कोर
क्रेडिट स्कोर आपकी उधारी और भुगतान इतिहास के आधार पर बनाया गया एक तीन-अंकों का नंबर होता है, जो आपकी क्रेडिट योग्यता बताता है। बैंक और वित्तीय संस्थान इसी स्कोर के आधार पर तय करते हैं कि आपको लोन दिया जाए या नहीं, और किस ब्याज दर पर दिया जाए।
क्रेडिट स्कोर का दायरा और मायने
यह आमतौर पर 300 से 900 के बीच होता है।
750–900 : बहुत अच्छा
लोन जल्दी मंजूर होता है, ब्याज दर कम मिलती है।
700–749 : अच्छा
ज्यादातर लोन मिल जाते हैं, पर ब्याज दर थोड़ी ज्यादा हो सकती है।
650–699 : ठीक-ठाक
लोन मिलने में मुश्किल हो सकती है, कई बार अतिरिक्त दस्तावेज मांगे जाते हैं।
550–649 : कमजोर
कर्ज के मौके, ब्याज दर काफी ज्यादा होती है।
300–549 : बहुत खराब
बैंक और एनबीएफसी ज्यादातर कर्ज मंजूर नहीं करते।
उपभोक्ताओं को फायदा
साप्ताहिक क्रेडिट स्कोर अपडेट का सबसे बड़ा लाभ आम उपभोक्ताओं को मिलेगा। अब लोन की किस्त, क्रेडिट कार्ड बिल या किसी भी बकाया का भुगतान करने पर उसका सकारात्मक असर जल्दी दिखाई देगा। पहले जहां स्कोर अपडेट होने में दो से तीन सप्ताह लग जाते थे, अब यह कुछ ही दिनों में रिपोर्ट हो जाएगा। इससे ग्राहकों की क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत दिखेगी और उन्हें नए कर्ज या क्रेडिट कार्ड की मंजूरी पाने में आसानी होगी। साथ ही किसी भी गलत या अधूरी जानकारी को समय रहते सुधरवाना भी आसान हो जाएगा।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों को लाभ
बैंकों, एनबीएफसी और अन्य ऋणदाताओं को अब उधारकर्ताओं का क्रेडिट डेटा अधिक ताजा और विश्वसनीय मिलेगा। इससे उन्हें यह समझने में आसानी होगी कि ग्राहक की वित्तीय स्थिति अभी कैसी है, क्या उसने हाल ही में कोई नया कर्ज लिया है, भुगतान समय पर कर रहा है या क्रेडिट लिमिट का अत्यधिक उपयोग कर रहा है। इससे जोखिम मूल्यांकन और कर्ज स्वीकृति प्रक्रिया अधिक सटीक और सुरक्षित हो जाएगी। कर्ज चूक की संभावना भी कम होगी क्योंकि डेटा में देरी रहने से जो गलत आकलन होते थे, वे अब कम होंगे।
पूरे ऋण परिवेश के हित में
साप्ताहिक रिपोर्टिंग से देश का पूरा ऋण ढांचा अधिक पारदर्शी बनेगा। क्रेडिट ब्यूरो को नियमित, सही और समयबद्ध डेटा मिलेगा, जिससे क्रेडिट स्कोरिंग प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ेगी। धोखाधड़ी, गलत रिपोर्टिंग और डेटा में अंतर की घटनाएं कम होंगी। कुल मिलाकर, यह कदम भारत के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक आधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएगा।
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