
कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal ) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने बुधवार को आरोप लगाया कि मतदाता सूची (Electoral Rolls) के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) (Special Intensive Revision – SIR) के पीछे असली मंशा पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) (National Register of Citizens -NRC) लागू करने और आम आदमी में डर पैदा करने की है। संविधान दिवस के अवसर पर रेड रोड स्थित बी. आर. आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में बनर्जी ने कहा कि मौलिक अधिकारों पर खतरा है। उन्होंने अपने हाथ में संविधान की प्रति लिए हुए कहा, ‘‘मैं दुख के साथ यह देख रही हूं कि लोगों के मताधिकार छीने जा रहे हैं, उनके धार्मिक अधिकार छीने जा रहे हैं। गंदी भाषा का इस्तेमाल करके हमले किए जा रहे हैं, और किसी को भी नहीं बख्शा जा रहा है, यहां तक कि दलितों, अल्पसंख्यकों या आम हिंदू मतदाताओं को भी नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके पीछे असली मंशा एनआरसी लागू करने की है। हम स्तब्ध और दुखी हैं। इसलिए मैं आज यहां भारत के लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लेती हूं।’’ बनर्जी ने आरोप लगाया कि वर्षों तक इस देश की मिट्टी को सिंचित करने वालों से भारत में उनके रहने के अधिकार को साबित करने को कहा जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘नागरिकता के अधिकार के नाम पर डर का माहौल बनाया जा रहा है।’’ इससे पहले ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने कहा कि जब लोकतंत्र दांव पर हो, धर्मनिरपेक्षता ‘‘खतरे में हो’’ और संघवाद को ‘‘ध्वस्त किया जा रहा हो’’, तो लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्त मूल्यवान मार्गदर्शन की रक्षा करनी चाहिए। बनर्जी ने कहा कि संविधान राष्ट्र की रीढ़ है, जो भारत की संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों की विविधता को कुशलतापूर्वक एक साथ पिरोता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, इस संविधान दिवस पर मैं हमारे महान संविधान और भारत में हमें जोड़ने वाले महान दस्तावेज के प्रति गहरा सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। मैं आज हमारे संविधान के दूरदर्शी निर्माताओं विशेष रूप से इसके प्रमुख वास्तुकार डॉ. बी.आर. आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।’’ बनर्जी ने संविधान सभा में रहे बंगाल के सदस्यों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने ‘‘संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हमारा संविधान हमारे राष्ट्र की रीढ़ है, जो हमारी संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों की अपार विविधता को कुशलतापूर्वक एक एकीकृत, संघीय ढांचे में पिरोता है। इस पवित्र दिन पर हम अपने संविधान में निहित मूल लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करते हैं और उन पवित्र सिद्धांतों की सतर्कतापूर्वक रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं और बनाए रखते हैं।’’
संविधान को अंगीकार किए जाने के उपलक्ष्य में वर्ष 2015 से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। 26 नवंबर, 1949 को संविधान को अंगीकृत किया गया था। संविधान के कुछ प्रावधान तुरंत लागू हो गए थे तथा शेष प्रावधान 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने पर लागू हुए थे।
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