
कानपुर। वेस्ट यूपी और उत्तराखंड के 26 सहकारी बैंक (26 Cooperative Banks) आयकर विभाग (Income Tax Department) के रडार पर हैं। बार-बार नोटिस के बावजूद कई बैंक करदाताओं (taxpayers) की स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (एसएफटी) रिपोर्ट (Statement of Financial Transaction (SFT) Report) दबा रहे हैं। भारी-भरकम लेनदेन वाले खातों को ‘सामान्य’ बताकर नियमों से बचाया जा रहा है। विभाग ने इसे गंभीर गड़बड़ी मानते हुए कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक कई सहकारी बैंकों में बिना पैन कार्ड के खाते संचालित किए जा रहे हैं, जबकि स्पष्ट नियम है कि बड़ी रकम के लेनदेन पर पैन अनिवार्य हैं। इसके बावजूद बैंक न सिर्फ लेनदेन जारी रख रहे हैं बल्कि करोड़ों का टर्नओवर करने वाली कुछ फर्मों को गलत तरीके से फार्म-60 का लाभ देकर टैक्स देनदारी से बचाने का खेल भी चल रहा है।
कानपुर, आगरा समेत कई शहरों में सबसे ज्यादा मामले
आयकर सूत्रों के अनुसार, सबसे ज्यादा कानपुर, आगरा, मेरठ, नोएडा, देहरादून और गाजियाबाद के सहकारी बैंकों में गड़बड़ी होने का अंदेशा है। इसके अलावा बांदा, उरई, झांसी, ललितपुर, बिजनौर जैसे छोटे शहरों के सहकारी बैंकों पर भी नजर है। कई बैंकों ने बचत खाते में 10 लाख रुपये और चालू खाते में 50 लाख रुपये से अधिक के लेनदेन की अनिवार्य जानकारी भी एसएफटी में दर्ज नहीं की। यह वही श्रेणी है जिसमें लेनदेन की निगरानी सबसे सख्ती से की जाती है। आयकर विभाग का रुख सख्त है।
जानकारी छिपाने में दो सहकारी बैंकों पर हो चुकी है कार्रवाई
जानकारी छिपाने के एक मामले में इटावा और कानपुर के दो सहकारी बैंकों पर पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है। विभाग ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि एसएफटी का उल्लंघन करने वाले किसी भी बैंक को बख्शा नहीं जाएगा। यदि कोई बैंक जानकारियां छिपाता पाया गया तो कानूनी कार्रवाई भी तय है। कानपुर के पांच सहकारी बैंक पर विभाग की नजर है।
एक्शन होता देख कई सुधारने लगे दस्तावेज
सूत्र बताते हैं कि कार्रवाई से घबराए कई बैंकों ने बैकडेट में लेनदेन सुधारने और दस्तावेज अपडेट करने की कवायद शुरू कर दी है, लेकिन विभाग के अधिकारी इसे बचाव का प्रयास मान रहे हैं। बैंक शाखाओं में पिछले तीन-चार वर्षों के लेनदेन का मिलान कराया जा रहा है और जिन खातों में असामान्य गतिविधि पाई गई है, उनके बारे में अलग से रिपोर्ट बन रही है।
करोड़पति फर्मों को भी बताया टैक्स फ्री
सूत्र बताते हैं कि करोड़पति फर्मों को भी टैक्स फ्री करने के लिए गलत तरीके से फार्म 60 का लाभ देने की बात सामने आ रही है। फार्म 60 खेती-बाड़ी संबंधित मामलों में ही मान्य होता है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह कार्रवाई सिर्फ नियम पालन भर नहीं है, बल्कि उन नेटवर्कों को पहचानने का प्रयास है जहां से कर चोरी और फर्जी लेनदेन को बढ़ावा मिल रहा है। सहकारी बैंकों की छवि ग्रामीण और छोटे वर्ग के लिए विश्वसनीय मानी जाती है, ऐसे में इस तरह की गड़बड़ियां चिंता बढ़ाने वाली हैं। यह अभियान लंबा चलेगा और पूरे नेटवर्क को खंगाला जाएगा।
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