
नई दिल्ली: असम विधानसभा में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विधेयक पारित कर दिया है. यह एक ऐतिहासिक फैसला है. इस कानून के तहत अगर कोई ऐसा करता है तो उसे सात साल की जेल हो सकती है. साथ ही पीड़ित को 1.40 लाख रुपये मुआवजा देने का भी प्रावधान है.
आपको बता दें कि विधेयक को पास करने से पहले असम विधानसभा में इसे लेकर चर्चा भी हुई. इस मौके पर सूबे के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि ‘अगर मैं असम में दोबारा सत्ता में आता हूं तो पहले सत्र में हम असम में यूसीसी लाएंगे. बहुविवाह विरोधी अधिनियम असम में यूसीसी की ओर पहला कदम है.’
आज असम पार्लियामेंट में पास हुए विधेयक में ‘बहुविवाह’ को ऐसे विवाह के रूप में परिभाषित किया गया है, जब दोनों पक्षों में से किसी एक का पहले से ही विवाह हो गया हो या किसी का जीवनसाथी अभी भी जिंदा हो, जिससे उसका कानूनी रूप से तलाक न हुआ हो, या उनका विवाह कानूनी रूप से रद्द या शून्य घोषित न हुआ हो.
विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि बहुविवाह को दंडनीय अपराध माना जाएगा और इसके दोषी को कानून के अनुसार सात वर्ष तक के कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है. इसमें यह भी कहा गया कि यदि कोई व्यक्ति अपनी मौजूदा शादी को छिपाकर दूसरी शादी करता है तो उसे 10 साल कारवास और जुर्माने की सजा हो सकती है.
मिली जानकारी के अनुसार, धेयक के प्रावधान छठी अनुसूची के क्षेत्रों और किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होंगे. इस बिल का उद्देश्य राज्य में बहुविवाह और बहुपत्नी विवाह की प्रथाओं को रोकना और उन्हें जड़ से खत्म करना है. बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमरी की अनुमति के बाद राज्य के गृह और राजनीतिक मामलों के विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे शर्मा ने ‘असम बहुविवाह निषेध विधेयक-2025’ पेश किया.
असम सीएम ने जानकारी देते हुए बताया, ‘असम प्रोहिबिशन ऑफ पॉलीगैमी बिल, 2025′ उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पास किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) बिल की तरह ही राज्य में नया कानून लाने की दिशा में पहला कदम है.’ उन्होंने कहा कि अगर अगले साल होने वाले राज्य चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में आती है, तो UCC बिल पहले विधानसभा सत्र में पूरी तरह से पास हो जाएगा.
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