नई दिल्ली। साल 1940, नाजी जर्मनी के डर से दुनिया कांप रही है और बर्लिन (Berlin) के एसएस हेडक्वार्टर में सोवियत यूनियन (soviet union) का एक जासूस अपनी असली पहचान छिपाकर दुश्मन के किले में पैठ कर चुका है। चमकदार जर्मन वर्दी, खुद पर बेमिसाल भरोसा और दिमाग में बस एक मकसद-नाजियों की जंग की रणनीतियों को चुपचाप चुराना।
वह जासूस, दुश्मन के सबसे बड़े अफसरों से चुपके-चुपके गुफ्तगू करता है और उनके सीक्रेट प्लान को उगलवा लेता है। फिर भी कोई उसकी असलियत जान नहीं पाता। लेकिन जरा रुकिए, ये जासूसी की एक रोमांचक कहानी है, कोई हकीकत नहीं। यह सोवियत यूनियन की मशहूर स्पाई सीरीज The Shield and the Sword की कहानी है। लेकिन 1968 में यही सीरीज एक दुबले-पतले, 16 साल के लड़के के दिमाग में इतना जोश भर देती है कि वह ठान लेता है कि उसे भी गुप्त दुनिया का योद्धा बनना है। वो लड़का और कोई नहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन थे, जिन्होंने आगे चलकर KGB की खुफिया दुनिया में पदार्पण किया।
बचपन में पुतिन को बहुत पसंद था ये SPY कैरेक्टर
abc.net.au में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, The Shield and the Sword का किरदार एजेंट अलेक्जेंडर बेलोव, पुतिन को बहुत प्यारा था। अलेक्जेंडर बेलोव ऐसा कैरेक्टर था जो मुश्किल वक्त में भी बिल्कुल शांत रहता था। स्पाई सीरीज की कहानी के मुताबिक, बेलोव अपनी पहचान छिपाकर जर्मन बना रहता है और नाजी जर्मनी के अर्द्धसैनिक बल Schutzstaffel के बर्लिन स्थित मुख्यालय में घुसपैठ करता है। यही बात रूसी लोगों को खूब पसंद आई थी और उनमें से पुतिन भी एक थे।
दावा किया जाता है कि The Shield and the Sword देखने के बाद पुतिन इतने ज्यादा उत्साहित हुए थे कि वह तत्कालीन सोवियत यूनियन की State Security Police के पास पहुंच गए थे। पुतिन ने वहां जाकर पुलिस अफसरों से कहा था कि मुझे जासूस बनना है। मुझे KGB में भर्ती कर लो। फिर पुलिस अफसरों ने उस बहादुर बच्चे के उत्साह को देखकर समझाया था कि जाइए पहले कॉलेज की पढ़ाई पूरी करिए। उच्च शिक्षा हासिल करिए और उसके बाद प्रक्रिया के तहत KGB में भर्ती होइए।
23 साल की उम्र में KGB में भर्ती हुए थे पुतिन
जान लें कि पुतिन ने जो सोचा था, उन्होंने वह किया भी। उसके महज 7 साल बाद यानी 1975 में पुतिन ने सोवियत रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी KGB में शामिल होने में कामयाबी पा ली। उनकी पहली पोस्टिंग ईस्ट जर्मनी के Dresden में थी।
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