
इंदौर। पुलिसकर्मियों (police officers) की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस साल अब तक शहर में सात (Seven) पुलिसकर्मी आत्महत्या कर चुके हैं। ज्यादातर मामलों में पुलिस अपने ही स्टाफ (Staff) को न्याय (Justice) नहीं दिलवा सकी है, लेकिन अधिकांश मामलों में प्रेम प्रसंग एक बड़ी वजह सामने आई है।
शहर में यूं तो आम लोगों की आत्महत्या के दो-तीन मामले रोजाना सामने आते हैं, लेकिन इस साल पुलिसकर्मियों की आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। इस साल महिला आरक्षक मानसी बुराडिय़ा ने फांसी लगाकर जान दी। मुकेश लोधा ने फांसी लगाकर जान दी। एसआई नेहा शर्मा ने पीटीसी की बिल्डिंग की सातवीं मंजिल से कूदकर जान दी। अनुज जाट ने फांसी लगाई। विनोद यादव ने फांसी लगाई और एक यातायात की महिला आरक्षक ने भी फांसी लगाई थी। कल फिर एरोड्रम क्षेत्र में रहने वाली महिला आरक्षक प्रिया यादव ने फांसी लगाकर जान दे दी। इनमें से ज्यादातर मामलों में प्रेम प्रसंग एक बड़ा कारण रहा है। इसके अलावा काम के दबाव में डिप्रेशन की भी बात सामने आई है। इसके अलावा कुछ लोगों ने बीमारी के चलते आत्महत्या की है। पुलिस में लगातार बढ़ते आत्महत्या के मामले पुलिस अधिकारियों के लिए चुनौती बने हुए हैं। यही हाल प्रदेश और देशभर में भी देखने को मिला है। कुछ राज्यों में बड़े स्तर के अधिकारियों ने आत्महत्या की है।
टीआई ने प्रेमिका पर गोली चलाकर खुद को मार ली थी गोली
कुछ साल पहले इंदौर में पदस्थ रहे टीआई हाकमसिंह ने रीगल तिराहा स्थित पुलिस ऑफिस में प्रेम प्रसंग के चलते क्राइम ब्रांच में तैनात एक महिला एसआई पर गोली चलाई थी और फिर खुद को सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसके अलावा दो दिन पहले ही बीएसएफ के एक कुक ने आत्महत्या कर ली थी। वहीं बटालियन में पदस्थ दो आरक्षक इस साल शहर में आत्महत्या कर चुके हैं, जो बताता है कि फोर्स में सब कुछ ठीक नहीं है।