
जबलपुर। मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के दौरान जिले में एक ऐसा गंभीर मामला सामने आया है जिसने प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। ताजा खुलासे में पता चला है कि कुछ संदेहास्पद लोगों द्वारा आधार नामांकन मशीनों की क्लोनिंग कर फर्जी आधार कार्ड तैयार किए जा रहे थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई मामलों में आधार कार्ड पर नाम किसी और व्यक्ति का था, जबकि फिंगरप्रिंट और बायोमैट्रिक किसी अन्य के थे, जिससे बड़े पैमाने पर पहचान फर्जीवाड़े की आशंका गहराई है। मतदाता सूची के सत्यापन के दौरान जब अधिकारियों ने कई संदिग्ध प्रविष्टियों की जांच की तो पाया कि बायोमैट्रिक रिकॉर्ड और दस्तावेज़ आपस में मेल नहीं खाते। इसकी जानकारी पुलिस तक पहुँचते ही विशेष जांच टीम गठित की गई और आधार मशीन क्लोनिंग की दिशा में जांच शुरू की गई। पुलिस के अनुसार, इस गैंग को लीड करने वालों की पहचान की जा चुकी है, जल्दी गिरफ्तारी होगी।
रिपोर्ट जाएगी दिल्ली-भोपाल
सूत्रों के अनुसार, जबलपुर पुलिस ने प्राथमिक जांच के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना शुरू कर दिया है। यह रिपोर्ट भोपाल स्थित राज्य गृह विभाग के साथ दिल्ली भेजी जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि आधार मशीन की क्लोनिंग केवल स्थानीय फर्जीवाड़ा नहीं, बल्कि बड़े साइबर नेटवर्क का हिस्सा भी हो सकती है। ऐसे फर्जी आधार कार्ड न केवल मतदाता सूची को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि बैंकिंग, सिम कार्ड जारी करने और सरकारी योजनाओं में भी बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की संभावना पैदा करते हैं। प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि यदि किसी को आधार नामांकन में अनियमितता का संदेह हो तो तुरंत पुलिस या जिला प्रशासन को जानकारी दें।
पुलिस पहुंची तो गायब हो गए
प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे 10 से अधिक स्थानों की पहचान की, जहाँ संदिग्ध लोगों ने वर्षों से अस्थायी डेरा डाल रखा था। बरेला के हिनौतिया और नीमखेड़ा में मिले इन लोगों के पास न स्थायी आवास का कोई प्रमाण है और न ही क्षेत्र में किसी तरह का सामाजिक रिकॉर्ड। इसके बावजूद इन लोगों ने आधार, पैन, राशन कार्ड, जाति व आय प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बनवा लिए, जिससे प्रशासन की चिंता और बढ़ गई है। टीम जब जांच के लिए पहुँची तो कई संदिग्ध परिवार मौके से गायब मिले। जिन लोगों से पूछताछ हुई, उनके दस्तावेज़ों में गंभीर विसंगतियाँ मिलीं,कई आधार कार्डों में नाम, जन्मतिथि और मोबाइल नंबर फर्जी थे, और कई बायोमैट्रिक रिकॉर्ड आपस में मेल नहीं खाते थे।
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