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इंदौरी बिजली कम्पनी ने दे डाला मुकदमेबाज को 21 करोड़ का ठेका

December 05, 2025

  • केग की रिपोर्ट में कई विभागों की खुली पोलपट्टी…

इंदौर। विधानसभा के पटल पर रखी गई केग की रिपोर्ट ने कई सरकारी विभागों की करोड़ों रुपए की अनियमितताएं उजागर की है, जिनमें नगरीय निकायों से लेकर बिजली कम्पनी एमपीआईडीसी सहित कई अन्य सरकारी महकमे शामिल हैं। यहां तक कि आईटी पार्कों में भी गड़बड़ी पाई गई और इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने तो एक मुकदमेबाज ठेकेदार को ही 21 करोड़ रुपए से अधिक का ठेका सौंप डाला। वहीं आईटी पार्कों की जमीनों पर भी अवैध कब्जे पाए गए।

मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डवलपमेंट कार्पोरेशन ने जो आईटी पार्क बनाए उनमें भी मॉनिटरिंग का अभाव पाया गया और कई गैर आईटी कम्पनियों को भी जमीनों-भूखंडों का आबंटन कर डाला, जिसके चलते जहां आईटी से जुड़ी गतिविधियां होना थी, उसके स्थान पर दवाई कारोबार, नर्सिंग होम से लेकर अन्य गतिविधियां संचालित होती पाई गई। बीपीओ, कॉल सेंटर, डाटा प्रोसेसिंग व अन्य आईटी से जुड़ी गतिविधियों के लिए ये जमीनें आबंटित की गई थी। यहां तक कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 240 भूखंडों के आबंटन में से सिर्फ 26 में ही उत्पादन नजर आया है।


इसी तरह प्रदेश में तीन बिजली कम्पनियां वितरण का काम करती है, जिसमें मध्य, पूर्व और पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी इंदौर भी शामिल है। इससे जुड़े कई ठेकों में गड़बडिय़ां मिली हैं और अधिक दरों पर ठेके दिए गए। यहां तक कि इंदौरी बिजली कम्पनी ने एक ऐसे ठेकेदार को भी 21.23 करोड़ का ठेका सौंप डाला, जिसने तीन-तीन मुकदमे कम्पनी के खिलाफ ही ठोंक रखे हैं। मगर इसे छुपाकर टेंडर ना सिर्फ हासिल किया, बल्कि कम्पनी के जिम्मेदार अधिकारियों ने टेंडर दे दिया, जिसमें विधि विभाग की मिलीभगत भी उजागर हुई, जिसने इस टेंडर मंजूरी की राय दी।

इतना ही नहीं, इन तीनों बिजली वितरण कम्पनियों द्वारा जारी एनआईटी के बिल ऑफ क्वाटिंटी की तुलना में क्लोजर रिपोर्ट में दर्ज कार्य की मात्रा में भी काफी अंतर पाया गया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी केग ने मात्र 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें कई सरकारी विभागों की पोलपट्टी उजागर हुई। मगर जब भाजपा विपक्ष में थी, तब कैग की ऐसी ही रिपोर्टों के चलते देशभर में हंगामा मचाती थी और 2जी स्पैक्ट्रम, कोयला घोटाले से लेकर राष्ट्रमंडल खेलों में हुई गड़बडिय़ों पर कैग की रिपोर्ट के चलते ही तत्कालीन कांग्रेस सरकार की जमकर घेराबंदी की गई और उसे करोड़ों-अरबों का घोटालेबाज बताया गया। मगर अब हर बार केग की रिपोर्ट भाजपा सरकारों के खिलाफ आती है, मगर उस पर मीडिया से लेकर कहीं कोई हल्ला नजर नहीं आता। यहां तक कि कांग्रेस भी विपक्ष के रूप में ज्यादा शौर-शराबा नहीं कर पाती और सोशल से लेकर परम्परागत मीडिया में भी इन घोटालों पर बहस नहीं होती। हर बाग केग की रिपोर्ट में सैंकड़ों-हजारों करोड़ के घोटाले उजागर होते रहे। अभी एकीकृत विकास योजना में भी बड़ी गड़बडिय़ां पाई गई हैं।

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