img-fluid

फिल्म ‘धुरंधर’ में दिखाए गए पाक के ल्यारी की क्‍या है असली कहानी, कौन थे रहमान डकैत और एसपी असलम?

December 09, 2025

नई दिल्‍ली । भारत (India) से लेकर पाकिस्तान (Pakistan) तक, हाल ही में रिलीज हुई फिल्म धुरंधर (film Dhurandhar) ने एक बार फिर कराची के ल्यारी इलाके (Lyari area) को सुर्खियों में ला दिया है। आदित्य धर की इस स्पाई थ्रिलर में रणवीर सिंह, संजय दत्त और अक्षय खन्ना जैसे सितारे हैं। फिल्म में पाकिस्तान के इस कुख्यात ल्यारी इलाके की गैंगवार की कहानी को पर्दे पर उतारा गया है। फिल्म में अक्षय खन्ना ने रहमान डकैत का किरदार निभाया है, जबकि संजय दत्त एसपी चौधरी असलम की भूमिका में हैं। लेकिन क्या यह सिर्फ एक काल्पनिक कहानी है? नहीं, धुरंधर असल घटनाओं से प्रेरित है। 2000 के दशक में यह इलाका एक खूनी जंग का मैदान बन गया था। यहां गैंगवार की आग ने सैकड़ों जिंदगियां जला दीं। यहां ड्रग्स, एक्सटॉर्शन और हथियारों का कारोबार राज करता था। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के राजनीतिक संरक्षण से पनपे अपराधी सिंडिकेट ने ल्यारी को ‘नो-गो जोन’ बना दिया था।

ल्यारी का उदय: फुटबॉल से फायरफाइट तक
ल्यारी कराची का सबसे पुराना और घनी आबादी वाला इलाका है, जहां बालोच, कच्छी, सिंधी और अन्य समुदाय सदियों से बसे हैं। 19वीं सदी में यह इलाका एक मजदूर कॉलोनी था, जहां डॉक वर्कर्स और ट्रक ड्राइवर रहते थे। 1960-70 के दशक तक यहां हशीश का छोटा-मोटा व्यापार फल-फूल रहा था। लेकिन अफगानिस्तान के सोवियत युद्ध (1979-89) के बाद हथियारों और ड्रग्स की बाढ़ आ गई। बेरोजगारी और गरीबी ने युवाओं को गैंग्स की ओर धकेल दिया।



ल्यारी को ‘मिनी ब्राजील’ कहा जाता था यानी फुटबॉल क्लबों की भरमार और ओलंपिक बॉक्सर हुसैन शाह जैसे सितारे यहीं के थे। लेकिन 1980 के दशक से जातीय राजनीति ने रंग बदल दिया। पीपीपी यहां मजबूत थी, लेकिन वोट बैंक को कंट्रोल करने के लिए पार्टियों ने गैंग्स से हाथ मिला लिए। म्युत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और पीपीपी के बीच टकराव ने हिंसा को हवा दी। 1990 के दशक तक ल्यारी में छोटे-मोटे अपराधी समूह उभर आए, जो किडनैपिंग, एक्सटॉर्शन और ड्रग ट्रैफिकिंग से कमाते थे।

गैंगवार की जड़ें: हाजी लालू बनाम दादल और फिर रहमान डकैत का उदय
ल्यारी की आधुनिक गैंगवार की शुरुआत 1960 के दशक के हशीश (चरस) व्यापार से हुई। दादल, शेरू, और ‘काला नाग’ जैसे नाम उस दौर के अपराध जगत में प्रभावी थे। 1990 के दशक में पढ़े-लिखे अपराधियों की नई पीढ़ी सामने आई- जैसे इकबाल उर्फ बाबू डकैत, जिसने ड्रग नेटवर्क को और अधिक संगठित रूप दिया। इसी काल में उभरकर आया सबसे प्रभावशाली नाम था सरदार अब्दुल रहमान बलोच, जिसे ल्यारी और बाकी कराची में रहमान डकैत के नाम से जाना गया।

रहमान डकैत: डाकू से ‘पीसकीपर’ तक का सफर
सरदार अब्दुल रहमान बालोच, उर्फ रहमान डकैत (1975-2009), ल्यारी गैंगवार का चेहरा था। एक छोटे अपराधी परिवार में जन्मे रहमान ने किशोरावस्था में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा। स्थानीय लोगों के मुताबिक, उसने 13 साल की उम्र में पहली हत्या की और घरेलू झगड़े में अपनी मां को भी मार डाला – हालांकि यह पुष्ट नहीं है, लेकिन उनकी क्रूरता की मिसाल बन गया।

2001 में हाजी लालू गैंग के पतन के बाद रहमान ने कंट्रोल ले लिया। उसने ड्रग्स, जुआ और एक्सटॉर्शन से लाखों कमाए, लेकिन साथ ही क्लिनिक, मदरसे और फुटबॉल टूर्नामेंट फंड किए। 2008 में पीपीपी ने उसे ‘पीपुल्स अमन कमिटी’ (पीएसी) का प्रमुख बनाया। यह ‘शांति समिति’ वोट बैंक संरक्षण का बहाना थी, लेकिन वास्तव में गैंग का कवर। रहमान को पीपीपी नेता जुल्फिकार मिर्जा और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का संरक्षण था।

उनकी दुश्मनी अरशद पप्पू से थी, जो एमक्यूएम समर्थित था। 2003 में अर्शद ने उजैर बालोच (रहमान के चचेरे भाई) के पिता की हत्या कर दी, जिससे खूनी जंग छिड़ गई। सैकड़ों मौतें हुईं। ‘धुरंधर’ में अक्षय खन्ना का किरदार रहमान को एक करिश्माई लेकिन खतरनाक डाकू के रूप में दिखाता है – जो हकीकत से मेल खाता है।

एसपी चौधरी असलम: ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ की आग उगलती बंदूक
चौधरी असलम खान (1963-2014) पाकिस्तान का सबसे विवादास्पद पुलिस अधिकारी था। 1980 के दशक में सिंध पुलिस में एएसआई के रूप में शामिल हुए असलम को ‘पाकिस्तान का डर्टी हैरी’ कहा जाता था। वह क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) का हेड था और ल्यारी टास्क फोर्स के लीडर।

असलम ने तालिबान और गैंग्स के खिलाफ बेरहम कार्रवाई की। 2006 में वह मशूक ब्रोही एनकाउंटर के लिए जेल गया, लेकिन 2007 में रिहा होकर लौटा। 2009 में उसने रहमान डकैत को ‘एनकाउंटर’ में मार गिराया – रहमान की पत्नी ने इसे फर्जी बताया और सिंध हाईकोर्ट ने असलम पर एफआईआर का आदेश दिया। 2012 के ऑपरेशन ल्यारी में असलम ने उजैर बालोच के गैंग पर हमला बोला, लेकिन 12 पुलिसकर्मी मारे गए।

असलम को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से धमकियां मिलती रहीं। 9 जनवरी 2014 को ल्यारी एक्सप्रेसवे पर सुसाइड बॉम्बिंग में उसकी मौत हो गई। टीटीपी ने जिम्मेदारी ली। ‘धुरंधर’ में संजय दत्त का किरदार असलम को सिगरेट पीते, बंदूक चलाते ‘जिन्न’ के रूप में चित्रित करता है- जो उसकी वास्तविक छवि से प्रेरित है। असलम की पत्नी ने फिल्म पर आपत्ति जताई, इसे प्रोपगैंडा बताया।

गैंगवार का चरम: खून की होली और राजनीतिक खेल
रहमान की मौत के बाद उजैर बालोच ने कमान संभाली। 2013 में अरशद पप्पू का अपहरण कर सिर काट दिया गया- प्रतिद्वंद्वी गैंग ने उसके सिर से फुटबॉल खेली। बाबा लाडला जैसे गुटों ने विद्रोह किया। 2004-13 के बीच 800 से ज्यादा मौतें हुईं। पीपीपी और एमक्यूएम की राजनीति ने आग में घी डाला – गैंग्स वोटर मोबिलाइजेशन के लिए इस्तेमाल होते थे।

कहते हैं कि आज ल्यारी शांत है- फुटबॉल क्लब फिर सक्रिय हैं, और 2024 में एक स्थानीय टीम ने नेशनल यूथ चैंपियनशिप जीती। लेकिन घाव बाकी हैं। उजैर के बारे में कहा जाता है कि वह आज भी जेल में सजा काट रहा है।

Share:

  • MP में पड़ रही कड़ाके की ठंड .... 5 डिग्री से नीचे आया पारा, 3 दिन शीतलहर का अलर्ट

    Tue Dec 9 , 2025
    भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) इस समय भीषण ठंड की चपेट (Grip of Severe Cold) में है। अगले तीन दिनों तक प्रदेश के कई जिलों में कोल्ड वेव यानी शीतलहर (Cold Wave) का प्रभाव बना रहेगा। मौसम विभाग ने भोपाल, इंदौर, राजगढ़, विदिशा, सीहोर, शाजापुर, जबलपुर, सिवनी और शहडोल के लिए कोल्ड वेव अलर्ट, जबकि […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved