
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को वृंदावन (Vrindavan) स्थित ठाकुर श्री बांके बिहारी जी मंदिर (Thakur Shri Banke Bihari Ji Temple) में दर्शन की टाइमिंग और मौजूदा व्यवस्थाओं पर सख्त टिप्पणियां की है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वर्तमान व्यवस्था में देवता को आराम तक नहीं करने दिया जा रहा और इसे एक तरह का शोषण ही माना जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर व्यवस्था की देख-रेख करने वाली हाई पावर्ड टेंपल मैनेजमेंट कमिटी और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
मैनेजमेंट कमिटी की अर्जी पर सुनवाई
दरअसल SC में श्री बांके बिहारी जी महाराज मंदिर की मैनेजमेंट कमिटी की याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इस कमिटी को उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट ऑर्डिनेंस 2025 के तहत बनाया गया था। याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगस्त में बनाई गई हाई पावर्ड कमिटी के कुछ फैसलों पर आपत्ति जताई गई है, खासतौर पर दर्शन समय और मंदिर की परंपराओं को लेकर।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने दलील देते हुए कहा कि दर्शन के समय और परंपराओं में बदलाव बेहद संवेदनशील मामला है और इसे बहुत सावधानी से देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बदलाव का मकसद श्रद्धालुओं की सुरक्षा है, ताकि भगदड़ जैसी स्थिति ना बने। इसी वजह से दर्शन के दौरान ट्रैफिक कंट्रोल और भीड़ प्रबंधन भी जरूरी है।दीवान ने यह भी बताया कि गुरु-शिष्य के बीच होने वाली ‘धैर्य पूजा’ की व्यवस्था को बंद कर दिया गया और दर्शन व्यवस्था में बदलाव किए गए थे ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। याचिकाकर्ता ने कहा है कि हालांकि परंपराओं के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए और वीआईपी दर्शन की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
देवता को एक मिनट तक आराम नहीं करने दिया जाता- SC
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की पीठ कर रही थी। पीठ ने माना कि मौजूदा सिस्टम देवता के शोषण जैसा है। सुनवाई के दौरान सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, “दोपहर 12 बजे मंदिर बंद होने के बाद भी देवता को एक मिनट तक आराम नहीं करने दिया जाता। इसी समय सबसे ज्यादा विशेष पूजा कराई जाती है और सम्पन्न लोग, जो पूजा के लिए मोटी रकम दे सकते हैं, उन्हीं को खास पूजा की इजाजत दी जाती है।”
सीजेआई ने कहा कि मोटी रकम देने वालों के लिए पर्दा लगाकर विशेष पूजा कराई जाती है, जो गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई पावर्ड कमिटी और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही हाई पावर्ड टेंपल कमिटी के मेंबर सेक्रेटरी को भी इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया गया। मामले की अगली सुनवाई आगामी जनवरी के पहले हफ्ते में होगी।
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