
मास्को। वेनेजुएला संकट (Venezuelan crisis) एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ((American President Donald Trump)) ने हाल ही में प्रतिबंधित तेल टैंकरों की आवाजाही पर पूर्ण नाकाबंदी का आदेश दिया है, जिसे उन्होंने ‘टोटल एंड कंपलीट ब्लॉकेड’ कहा है। यह कदम निकोलस मादुरो सरकार पर दबाव बढ़ाने का हिस्सा है, जो तेल निर्यात से अपनी अर्थव्यवस्था चलाती है। अमेरिका ने पहले ही एक टैंकर जब्त किया है और कैरेबियन सागर में बड़ी नौसैनिक तैनाती की है। इसके जवाब में रूस (Russia) ने कड़ी चेतावनी दी है।
मॉस्को ने कहा कि वह उम्मीद करता है कि ट्रंप प्रशासन ‘घातक गलती’ नहीं करेगा, क्योंकि इससे पूरे पश्चिमी गोलार्ध में अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं। गौरतलब है कि रूस वेनेजुएला को अपना करीबी सहयोगी मानता है और काराकास के साथ निरंतर संपर्क में है। क्रेमलिन ने संयम बरतने की अपील की है, जबकि वेनेजुएला ने अमेरिकी कदम को ‘समुद्री डकैती’ करार दिया है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि हम निश्चित रूप से क्षेत्र के सभी देशों से स्थिति में किसी अप्रत्याशित विकास से बचने के लिए संयम बरतने का आह्वान करते हैं। कैरेबियन सागर में अमेरिकी युद्धपोतों की मौजूदगी के कारण नाकाबंदी के परिणाम स्पष्ट नहीं हैं। क्रेमलिन ने कहा कि वह अपने ‘सहयोगी और साझेदार’ वेनेजुएला के साथ निरंतर संपर्क में है।
दरअसल, इस सप्ताह की शुरुआत में अपनी घोषणा में ट्रंप ने कहा कि वेनेजुएला दक्षिण अमेरिका के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े नौसैनिक बेड़े से पूरी तरह घिरा हुआ है, जिससे संभावित अमेरिकी हस्तक्षेप की आशंकाएं बढ़ गई हैं। अतीत में क्रेमलिन ने वेनेजुएला की संघर्षरत अर्थव्यवस्था को सहारा देने में मदद की है। रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन ने इस महीने की शुरुआत में एक फोन कॉल में मादुरो के प्रति अपना समर्थन दोहराया था।
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