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छत्तीसगढ़ में शराब के बोतल की ‘Z+ सिक्योरिटी’, 7 लेयर का होलोग्राम, ‘नोट’ वाले प्रिंटिंग प्रेस में छपाई

December 19, 2025

रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की पूर्व भूपेल बघेल (Bhupesh Bhagel) सरकार क्या 3200 करोड़ के शराब घोटाले (Liquor Scam) में फंसी, वर्तमान विष्णु देव साय सरकार ने पूरी आबकारी व्यवस्था (Excise System) ही बदल दी. शराब की बोतलों पर हाई-सिक्योरिटी होलोग्राम (High-Security Hologram) लगाया जा रहा है. बोतलों में लगने वाले होलोग्राम की छपाई सरकार महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित ‘नोट प्रिंटिंग प्रेस’ (Note Printing Press) में करा रही है. ये होलोग्राम सात लेयर के हैं और इनका डुप्लीकेट बनाना लगभग असंभव ही है.

बता दें कि पिछली सरकार में हुए 3200 करोड़ के शराब घोटाले में नकली होलोग्राम का मामला भी शामिल था. इस वजह से इस बार छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग ने होलोग्राम को लेकर पूरा सिस्टम ही बदल दिया है. छत्तीसगढ़ में बिकने वाली हर शराब की बोतल में नासिक से प्रिंट होकर आए होलोग्राम ही लगाए जा रहे हैं.


खास बात यह है कि इसे सात लेयर में सीधे बनाया जाता है. यानी इस होलोग्राम का डुप्लीकेट बन ही नहीं सकता है. कोई भी नकली होलोग्राम बनाने की कोशिश करता है तो उसे आसानी से पकड़ा जा सकता है. एक साल में करीब 75 करोड़ रुपए होलोग्राम बनाने में खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन ये पैसा सरकार को नहीं देना पड़ता है. छत्तीसगढ़ में बॉटलिंग का काम करने वाली कंपनियां अपने ऑर्डर के अनुसार पहले ही होलोग्राम का पैसा सरकार के पास जमा कर देती है. बाद में यही पैसा सरकार नासिक प्रिंट वालों को देती है.

पिछली भूपेश बघेल सरकार में होलोग्राम के लिए टेंडर निकाला जाता था. इसमें जमकर गड़बड़ी की जाती थी. अफसरों, राजनेताओं और कारोबारियों का सिंडिकेट उसी कंपनी को टेंडर दिलाते, जिनसे उनकी सेटिंग होती थी. इस वजह से वे अपनी मर्जी से नकली और असली होलोग्राम प्रिंट करवा लेते थे. अब ये सिस्टम ही खत्म कर दिया गया है. छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग अब सीधे केंद्र सरकार की कंपनी को होलोग्राम प्रिंट करने का ऑर्डर देता है, जितनी छपाई करानी है उतना ही भुगतान किया जाता है. न कोई टेंडर निकाला जाता और न ही किसी दूसरी कंपनी से बात की जाती है.

भारत में केवल चार जगहों पर नोटों की छपाई होती है. नासिक, देवास, मैसूर और सालबोनी में नोट छपते हैं. यहां की सुरक्षा भी काफी कड़ी होती है. जानकारी के मुताबिक, इनमें से देवास और नासिक का प्रिंटिंग प्रेस केंद्र सरकार की देख-रेख में संचालित होता है, जबकि मैसूर और सालबोनी को RBI संचालित कराती है.

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