
नई दिल्ली । कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा (Congress MP Kumari Sailja) ने कहा कि मनरेगा का नाम परिवर्तन (Changing the name of MNREGA) इसके मूल स्वरूप और संवैधानिक भावना से खिलवाड़ है (Is violation of its Original Form and Constitutional Spirit) । कांग्रेस इस सरकार को लाखों गरीब लोगों, मजदूरों और कामगारों के अधिकारों को छीनने की अनुमति नहीं देंगी।
मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि मनरेगा कोई साधारण कल्याणकारी योजना नहीं, बल्कि संसद द्वारा वर्ष 2005 में पारित एक वैधानिक अधिकार है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को सुनिश्चित रोजगार के माध्यम से आजीविका की सुरक्षा प्रदान करना है, किंतु हालिया प्रशासनिक बदलावों के कारण कार्य आवंटन में अव्यवस्था, भुगतान में विलंब और हज़ारों ग्रामीण श्रमिकों को उनके वैध रोजगार अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
यह स्थिति न केवल मनरेगा अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 41 में निहित समानता, गरिमा के साथ जीवन और कार्य के अधिकार का भी स्पष्ट उल्लंघन है। सांसद ने सरकार से मांग की है कि मनरेगा को वर्ष 2024 से पूर्व की भांति उसके मूल स्वरूप में तत्काल लागू किया जाए, ताकि ग्रामीण श्रमिकों को समय पर, न्यायपूर्ण और सम्मानजनक रोजग़ार सुनिश्चित हो सके।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि ये केवल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) का नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि गरीबों के अधिकारों से नफरत करने वाली सरकार ही एमजीएनआरईजीए पर हमला करेगी। कांग्रेस पार्टी इस अहंकारी सरकार के किसी भी गरीब-विरोधी और मजदूर-विरोधी फैसले का आम जनता के बीच पहुंचकर सडक़ों पर कड़ा विरोध करेगी। कांग्रेस इस सरकार को लाखों गरीब लोगों, मजदूरों और कामगारों के अधिकारों को छीनने की अनुमति नहीं देंगे।
सांसद सैलजा ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाने के पीछे सरकार की क्या मंशा है जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया में सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है तो कार्यालयों, स्टेशनरी में इतने बदलाव करने पड़ते हैं, जिसके लिए पैसा खर्च होता है. तो क्या फायदा?
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