
इंदौर | मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने नगर निगम चुनाव से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने वार्ड क्रमांक 44 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पार्षद निशा रूपेश देवलिया के निर्वाचन को वैध ठहराते हुए उनके पक्ष में फैसला दिया है।
इस आदेश के साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत (जिला न्यायालय) के उस पुराने फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें उनके निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया गया था।
मुख्य बिंदु:
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप: न्यायमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए निशा देवलिया की अपील को स्वीकार किया। न्यायालय ने माना कि निर्वाचन प्रक्रिया और नामांकन में ऐसी कोई वैधानिक कमी नहीं थी जिसके आधार पर जीत को रद्द किया जाए।
निचली अदालत का पिछला आदेश: इससे पहले इंदौर जिला न्यायालय ने चुनाव याचिका पर सुनवाई करते हुए निशा देवलिया के निर्वाचन को ‘शून्य’ (Void) घोषित कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ भाजपा पार्षद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
विवाद का कारण: वार्ड 44 के चुनाव परिणाम को लेकर प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी द्वारा याचिका दायर की गई थी, जिसमें नामांकन पत्र में जानकारी छिपाने या तकनीकी खामियों का आरोप लगाया गया था।
पार्षद का पक्ष: निशा देवलिया के वकीलों ने तर्क दिया कि चुनाव निष्पक्ष रूप से जीता गया था और याचिका में लगाए गए आरोप निराधार थे। हाईकोर्ट ने इन तर्कों से सहमति जताई।
राजनीतिक गलियारों में खुशी की लहर
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद वार्ड 44 और स्थानीय भाजपा संगठन में उत्साह का माहौल है। समर्थकों ने इस फैसले को ‘सत्य की जीत’ बताया है। इस निर्णय के बाद निशा देवलिया अब बिना किसी कानूनी अड़चन के पार्षद पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन जारी रखेंगी।
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