
चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने कहा है कि स्पेस सेक्टर की PSU न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Limited- NSIL) अगले सप्ताह यानी बुधावार (24 दिसंबर) को नैस्डैक में सूचीबद्ध अमेरिकी सेलुलर ब्रॉडबैंड कंपनी AST SpaceMobile इंक के 6.5 टन वजनी ब्लूबर्ड-6 सैटेलाइट (Bluebird satellite) को अपने LVM-3 रॉकेट से प्रक्षेपित करेगा। दरअसल, NSIL के पास ही इसरो के LVM-3 रॉकेट से अमेरिका के कमर्शियल सैटेलाइट “ब्लूबर्ड ब्लॉक-2” या “ब्लूबर्ड-6” को पृथ्वी की कक्षा में भेजने का कॉन्ट्रैक्ट है।
इसरो ने शुक्रवार को सैटेलाइट लॉन्च की तारीखों की पुष्टि करते हुए कहा, “LVM3-M6 का लॉन्च 24 दिसंबर 2025 को सुबह 8.54 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड (SLP) से तय है।” स्पेस एजेंसी ने शुरू में 15 दिसंबर का टारगेट रखा था, लेकिन उसे बढ़ाकर 24 दिसंबर कर दिया गया था। हालांकि, इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने दिसंबर में लॉन्च की बात कही थी। कंपनी ने भी घोषणा की थी कि उसका दूसरी पीढ़ी का ब्लूबर्ड उपग्रह 15 दिसंबर, 2025 को पृथ्वी की निम्न कक्षा (एलईओ) में प्रक्षेपित किया जाएगा। लेकिन बाद में इस प्रक्षेपण को 21 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब इसकी फाइनल तारीख आ गई है।
क्या है ब्लूबर्ड उपग्रह?
ब्लूबर्ड उपग्रह (Bluebird satellite) अमेरिका की AST SpaceMobile कंपनी द्वारा विकसित एक उन्नत संचार उपग्रह है, जिसकी खासियत यह है कि यह बिना किसी अतिरिक्त उपकरण (जैसे डिश) के सीधे स्मार्टफोन से जुड़कर अंतरिक्ष से ही ब्रॉडबैंड इंटरनेट और कॉलिंग सेवा प्रदान करेगा। इसका उद्देश्य पृथ्वी पर कहीं भी, यहाँ तक कि दूरदराज के इलाकों में भी यूनिवर्सल कनेक्टिविटी देना है। यह 3G, 4G और 5G नेटवर्क पर काम कर सकता है और भारत के LVM3 रॉकेट के ज़रिए ISRO द्वारा लॉन्च किया जाना है।
अब तक का सबसे भारी उपग्रह
6.5 टन वजनी ब्लूबर्ड 6, एलवीएम3 रॉकेट द्वारा पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थापित होने वाला अब तक का सबसे भारी उपग्रह होगा। वर्तमान में एलवीएम3 प्रणाली की प्रक्षेपण सफलता दर 100 प्रतिशत है। ब्लूबर्ड 6, एएसटी स्पेसमोबाइल के अगली पीढ़ी के उपग्रह बेड़े की शुरुआत का प्रतीक है। एएसटी स्पेसमोबाइल के अनुसार, वह एक ऐसा नेटवर्क विकसित कर रहा है जो विश्व का पहला और एकमात्र अंतरिक्ष-आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क है। यह नेटवर्क व्यावसायिक और सरकारी उपयोगकर्ताओं के लिए रोज़मर्रा के स्मार्टफ़ोन से सीधे जुड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
कंपनी की तरफ से कहा गया है, “एक अमेरिकी कंपनी के रूप में, हमें अंतरिक्ष नवाचार में अमेरिकी नेतृत्व का प्रदर्शन करने एवं वैश्विक संपर्क के अगले युग का नेतृत्व करने पर गर्व है।” कंपनी अपने उत्पादन में तेजी ला रही है और 2026 की शुरुआत तक 40 उपग्रहों के बराबर हार्डवेयर तैयार होने की उम्मीद है। कंपनी को 2026 की पहली तिमाही के अंत तक पांच कक्षीय प्रक्षेपणों की उम्मीद है और ये सभी प्रक्षेपण स्पेसएक्स रॉकेटों द्वारा किए जाने की संभावना है।
2026 के अंत तक कक्षा में 45-60 उपग्रह स्थापित होगा
एएसटी स्पेसमोबाइल ने कहा कि उपग्रह प्रक्षेपणों के बीच एक से दो महीने का अंतराल होगा और इसका लक्ष्य 2026 के अंत तक कक्षा में 45-60 उपग्रह स्थापित करना है जिससे अमेरिका और चुनिंदा बाजारों में निरंतर कवरेज सुनिश्चित किया जा सके। एएसटी स्पेसमोबाइल, यूटेलसैट वनवेब के बाद एलवीएम3 पर उड़ान भरने वाला दूसरा सैटेलाइट ब्रॉडबैंड ग्राहक बन जाएगा। यूटेलसैट वनवेब ने 2022 और 2023 में दो एलवीएम3 रॉकेटों का उपयोग करके 72 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था।
ISRO फिर रचेगा इतिहास
भारत का एलवीएम3 एक तीन-चरण वाला भारी उठाने वाला वाहन है जिसका वजन लगभग 642 टन और ऊंचाई 43.5 मीटर है। यह लगभग चार टन भार को भूतुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में और 10 टन भार को एलईओ में ले जा सकता है। इसरो इसकी जीटीओ क्षमता को पांच टन तक बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इसरो चेयरमैन नारायणन ने कहा है कि यह मिशन दिखाता है कि भारत, जो कभी अपने स्पेस प्रोग्राम के लिए अमेरिका समेत दूसरे देशों पर निर्भर था, अब इतना मजबूत हो गया है कि वह स्पेस में लीडर माने जाने वाले देश का एक बड़ा सैटेलाइट लॉन्च कर सकता है।
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