img-fluid

राजस्थान के 11 प्राइवेट डेंटल कॉलेजों पर 110 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया सुप्रीम कोर्ट ने

December 20, 2025


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजस्थान के 11 प्राइवेट डेंटल कॉलेजों पर (On 11 Private Dental Colleges in Rajasthan) 110 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया (Imposed fine of Rs. 110 Crore) । कोर्ट ने नियमों का उल्लंघन कर बीडीएस में दाखिले देने के मामले में यह जुर्माना लगाया है।


इन कॉलेजों ने नीट परीक्षा में शून्य या नेगेटिव अंक लाने वाले छात्रों को भी प्रवेश दे दिया था। हालांकि, कोर्ट ने मानवीय आधार पर उन डॉक्टरों की डिग्रियां रद्द होने से बचा ली हैं, जिन्होंने अपना कोर्स पूरा कर लिया है। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय विश्नोई की पीठ ने 18 दिसंबर को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह राहत केवल उन्हीं छात्रों को मिलेगी, जिन्होंने डिग्री पूरी कर ली है। जो छात्र नौ साल बीतने के बाद भी कोर्स पूरा नहीं कर सके हैं, उन्हें डिस्चार्ज माना जाएगा।

कोर्ट ने राहत पाने वाले डॉक्टरों के लिए शर्त रखी है कि उन्हें शपथ पत्र देकर राज्य में दो साल तक नि:शुल्क सेवा (प्रो-बोनो सर्विस) देनी होगी। यह सेवा प्राकृतिक आपदा, महामारी, स्वास्थ्य आपातकाल या किसी भी सार्वजनिक संकट के समय दी जाएगी। सभी संबंधित डॉक्टरों को आठ सप्ताह के भीतर राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (ज्यूडिशियल) के समक्ष एफिडेविट जमा करना होगा। शपथ पत्र नहीं देने पर डिग्री की मान्यता खतरे में पड़ सकती है।

यह मामला शैक्षणिक सत्र 2016-17 का है। नीट के बाद सीटें खाली रहने पर 30 सितंबर 2016 को राजस्थान सरकार ने न्यूनतम पर्सेंटाइल में 10 अंकों की छूट दी। 4 अक्टूबर को इसे बढ़ाकर 5 पर्सेंटाइल और कर दिया गया। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसे नियमों का उल्लंघन बताते हुए केंद्र सरकार को सूचित किया। 6 अक्टूबर 2016 को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को आदेश वापस लेने को कहा और चेतावनी दी कि ऐसे एडमिशन अवैध माने जाएंगे। इसके बावजूद प्राइवेट डेंटल कॉलेजों ने न केवल इस छूट का फायदा उठाया, बल्कि इससे आगे बढ़कर शून्य और नेगेटिव अंक वाले छात्रों को भी दाखिला दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीट के न्यूनतम पर्सेंटाइल में बदलाव का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है, वह भी डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया की सलाह से। कोर्ट ने माना कि कॉलेजों ने लालच में नियमों की धज्जियां उड़ाईं और हर सीट भरने के लिए गंभीर अनियमितताएं कीं। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि गलती कॉलेजों और राज्य सरकार की थी, जिसका खामियाजा छात्रों को नहीं भुगतना चाहिए। साथ ही स्पष्ट किया गया कि यह फैसला भविष्य के लिए नजीर नहीं बनेगा।

कोर्ट ने प्रत्येक अपीलकर्ता कॉलेज पर 10 करोड़ रुपये और राजस्थान सरकार पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि आठ सप्ताह के भीतर राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करानी होगी। कॉलेजों से वसूली गई रकम को फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा जाएगा और उससे मिलने वाले ब्याज का उपयोग ‘वन स्टॉप सेंटर’, ‘नारी निकेतन’, वृद्धाश्रमों और बाल देखभाल संस्थानों के रखरखाव और सुधार के लिए किया जाएगा। इस राशि के सही उपयोग की निगरानी के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में पांच जजों की एक समिति गठित की जाएगी, जिसमें कम से कम एक महिला जज शामिल होंगी।

Share:

  • बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया दिल्ली हाईकोर्ट ने

    Sat Dec 20 , 2025
    नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर (On rising Pollution) दिल्ली सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर (Petition challenging Delhi Government’s Notification) सुनवाई करने से इनकार कर दिया (Refused to Hear) । हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस मामले को लेकर वह सीधे सुप्रीम कोर्ट […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved