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मद्रास HC ने पैगंबर मोहम्मद के उपदेश का हवाला देते हुए वकील को दिलाई राहत, जानिए क्‍या है मामला

December 21, 2025

नई दिल्‍ली । पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammad) की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने एक वकील (Advocate) की बकाया फी के मामले में अहम बात कही है। अदालत ने कहा कि मजदूर की मेहनत का पसीना सूखने से पहले उसे मेहनताना देने का सिद्धांत केवल धार्मिक उपदेश नहीं, बल्कि न्याय और निष्पक्षता का मूल तत्व है। यह श्रम और सेवा कानूनों पर समान रूप से लागू होता है। न्यायमूर्ति जी. आर. स्वामीनाथन ने यह टिप्पणी मदुरै सिटी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के पूर्व स्थायी अधिवक्ता पी. थिरुमलाई की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। थिरुमलाई ने दावा किया था कि निगम ने उनके 13.05 लाख रुपये के बकाया कानूनी शुल्क का भुगतान नहीं किया।

इससे पहले हाईकोर्ट ने निगम को वकील की मांग पर विचार करने का निर्देश दिया था, लेकिन निगम ने उनके दावे का बड़ा हिस्सा खारिज कर दिया, जिसके बाद थिरुमलाई ने दोबारा अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने माना कि शुल्क बिल समय पर और उचित ढंग से जमा नहीं किए जाने के कारण निगम को पूरी तरह दोषी नहीं ठहराया जा सकता। साथ ही, याचिकाकर्ता द्वारा 18 वर्षों तक भुगतान न मिलने को चुनौती न देने को देखते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि निगम दो माह के भीतर बिना ब्याज के बकाया राशि का निपटान करे।

हाईकोर्ट ने थिरुमलाई को निर्देश दिया कि वह उन मामलों की सूची जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सौंपें, जिनमें उन्होंने निगम की ओर से पैरवी की थी। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि प्राधिकरण 818 मामलों के प्रमाणित फैसलों की प्रतियां दो माह में जुटाएगा। इन दस्तावेजों को हासिल करने में होने वाला खर्च निगम वहन करेगा, लेकिन यह राशि वकील के अंतिम भुगतान से समायोजित की जाएगी।


न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने राज्य में बड़ी संख्या में नियुक्त अतिरिक्त महाधिवक्ताओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने इसे “शर्मनाक स्थिति” बताते हुए कहा कि जब जरूरत से ज्यादा कानून अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं, तो उन्हें काम देने के लिए ऐसे मामलों में भी लगाया जाता है, जहां उनकी आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2026 से मदुरै पीठ में ऐसी प्रथाओं पर रोक लगेगी।

अदालत ने सरकार और अर्ध-सरकारी संस्थानों द्वारा कुछ वरिष्ठ वकीलों को दी जाने वाली अत्यधिक और चिंताजनक फीस पर भी नाराजगी जताई। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि वह फीस की मात्रा की जांच नहीं कर सकती, लेकिन सुशासन की मांग है कि सार्वजनिक धन का उपयोग संतुलित और विवेकपूर्ण तरीके से हो। अदालत ने कहा कि 14 वर्षों तक 818 मामलों में पेश हुए थिरुमलाई का दावा बहुत मामूली है, जबकि कुछ चुनिंदा वकीलों को भारी रकम दी जाती है।

रिकॉर्ड के अनुसार, पी. थिरुमलाई 1992 से 2006 तक मदुरै सिटी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के स्थायी अधिवक्ता रहे और उन्होंने जिला अदालतों में करीब 818 मामलों में निगम का प्रतिनिधित्व किया।

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