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नेतन्याहू और ट्रंप का प्‍लान: ईरान पर हमला करने की तैयारी में इजरायल?

December 21, 2025

वाशिंगटन। इजरायल (Israel) एक बार फिर ईरान (Iran) पर हमला कर सकता है। जानकारी के मुताबिकि ईरान (Iran) के बलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम से भड़का इजरायल एक बार फिर स्ट्राइक करने की योजना बना रहा है। 29 दिसंबर को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं। इस दौरान वह ट्रंप को आगे की योजना पर पूरी जानकारी दे सकते हैं।

ईरान के अधिकारियों का कहना है कि मिसाइल अभियान के चलते डोनाल्ड ट्रंप भी चाहते हैं कि ईरान पर हमला हो। अधिकारी ने कहा कि इजरायल ने अमेरिका के अधिकारियों से पहले भी इस बारे में बात की है। बता दें कि इजरायल और ईऱान में हाल ही में युद्ध हो गया था। इसके बाद अमेरिका ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी की थी।



रिपोर्ट्स में बताया गया कि ईरान ने परमाणु ठिकाने फिर से बना लिए हैं और इसको लेकर इजरायल चिंतित है। वहीं ईरान बलिस्टिक मिसाइल बनाने जा रहा है जो कि इजरायल के लिए ज्यादा चिंता का सबब बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि बेंजामिन नेतन्याहू डोनाल्ड ट्रंप से पूछ सकते हैं कि ईरान के खिलाफ अभियान में अमेरिका किस तरह की मदद करेगा।

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफ़ेल ग्रॉसी ने कहा है कि संगठन ईरान के सबसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों तक पहुंच नहीं बना सका है। उधर ईरान ने कहा है कि वह ‘अपने परमाणु संयंत्रों और वैज्ञानिकों की सुरक्षा’ से जुड़ी चिंताओं के कारण आईएईए पर भरोसा नहीं कर सकता।

रूस की समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती ने श्री ग्रॉसी के हवाले से कहा कि अमेरिका और ईरान के बीच हालात सामान्य होने के बाद निरीक्षक कुछ परमाणु इकाइयों पर गये थे, लेकिन जिन परमाणु ठिकानों को उस समय अमेरिकी हमले में नुकसान हुआ था वहां वे अब भी नहीं पहुंच पाये थे।

रिपोर्ट में ग्रॉसी के हवाले से कहा गया, “हमें उन्हीं ठिकानों पर जाने दिया गया है जिन पर हमला नहीं हुआ था। नतांज़, इस्फ़ाहन और फोर्डाें तक पहुंचना और भी ज़्यादा अहम है क्योंकि इन ठिकानों पर काफ़ी मात्रा में परमाणु सामग्री और उपकरण मौजूद हैं।”

गौरतलब है कि इजरायल और ईरान के बीच जून 2025 में तनाव बढ़ गया था और दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हवाई हमले किये थे। इजरायल ने ईरान पर एक खुफिया परमाणु कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया था, जिसे ईरान ने सिरे से ख़ारिज किया है। इजरायल ने इस दावे के साथ 13 जून को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला बोला था। इसके नौ दिन बाद अमेरिका ने भी 22 जून को नतांज़, इस्फ़ाहन और फोर्डाे में ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे।

अमेरिकी हमलों के बाद ईरान ने जून के आखिर में एक संसदीय कानून के तहत आईएईए के साथ अपना सहयोग निरस्त कर दिया था। ईरान ने कहा था कि एजेंसी इज़रायली और अमेरिकी हमलों की निंदा करने में असमर्थ रही है। इसके साथ ही ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों और वैज्ञानिकों की सुरक्षा को लेकर चिंताओं का हवाला भी दिया था।

आईएईए तब से ईरान से कह रहा है कि वह अपने निरीक्षकों को देश में लौटने दे और परमाणु संयंत्रों का निरीक्षण फिर से शुरू करे। इस आग्रह को हाल ही में श्री ग्रॉसी ने अर्जेंटीना के एक अखबार को दिए साक्षात्कार में दोहराया था। इसके जवाब में ईरान के विदेश मंत्री इस्माइल बगाई ने कहा है कि ग्रॉसी ने बार-बार वही बातें कही हैं, जिससे मौजूदा हकीकत नहीं बदलेगी।

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