
आसमान से टपके, अधर में लटके
इंदौर (Indore) जिला भारतीय जनता पार्टी (BJP) की इकाई की घोषणा हो गई। इस घोषणा के बाद जो बवाल मचा उसे ठंडा करने और उसका जवाब देने वाला कोई नहीं था। एक तरफ तो कांग्रेस से आए हुए नेताओं को पहली बार भरपूर पद जिला भाजपा में मिल सके और दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र के विधायकों द्वारा की गई जोर-आजमाइश के कारण क्षेत्रीय संतुलन बनाना मुश्किल हो गया। जिला भाजपा के अध्यक्ष श्रवणसिंह चावड़ा ने तो खूब कोशिश की कि शहर जैसा विवाद ग्रामीण भाजपा में पैदा नहीं हो, लेकिन वहां विवाद थोड़ा अलग तरह का रहा। ग्रामीण क्षेत्र के एक नेताजी को जिला इकाई में एडजस्ट नहीं कर सके तो उनकी पत्नी को मंत्री बना दिया। बस यहीं से विवाद का बम फूट गया। अब नेताजी खुद कह रहे हैं कि मेरी पत्नी तो गृहिणी है, पार्टी की सदस्य भी नहीं है, फिर उसे कैसे पद दे दिया…जिला भाजपा में हालत आसमान से टपकने और अधर में लटकने वाली हो गई है।
आंदोलन से ढूंढेंगे आधार
जब भी कोई आंदोलन किया जाता है तो उसके पीछे कोई न कोई मकसद होता है। इस समय इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी ने पूरे आंदोलन की शृृंखला घोषित कर दी है। पार्टी ने अपने ब्लॉक अध्यक्षों को अलग-अलग आंदोलन की जिम्मेदारी सौंप दी है और अलग-अलग विभाग पर प्रदर्शन करने का शेड्यूल बना लिया है। यह प्रदर्शन करने के पीछे कारण केवल पार्टी का आधार तैयार करने की कोशिश है। अब कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि 1000-500 लोगों की भीड़ जुटाकर यदि हम आंदोलन कर लेंगे तो हमारा आधार तैयार हो जाएगा। इस तरह की कोशिश से न तो पहले पार्टी का आधार बना और न अब बन सकता है। इन नेताओं को यह समझ में नहीं आता कि जनता से जुड़े बगैर हम जनता में स्थान नहीं बना सकेंगे।
तैयार हो रहा है पीडि़त संघ
इन दिनों नगर निगम के नेताओं और अधिकारियों में महापौर परिषद के एक सदस्य से पीडि़त व्यक्तियों का संघ अघोषित रूप से तैयार होना शुरू हो गया है। इन सभी की पीड़ा यही है कि जनता के कार्य करने के नाम पर महापौर परिषद के सदस्य द्वारा सभी के कामों में खूब हस्तक्षेप किया जा रहा है और अधिकारियों को भी संकट में डाला जा रहा है। महापौर स्वयं भी उक्त सदस्य से खुश नहीं हैं। इसके बाद भी महापौर कुछ कहने और करने की स्थिति में नहीं हैं। अब अधिकारियों की ओर से इस सदस्य को निशाने पर लेने की तैयारी शुरू की गई है।
100 करोड़ी परिणाम दिए आयुक्त ने
नगर निगम की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए जब आयुक्त दिलीपकुमार यादव ने एक वार्ड में प्रयोग के तौर पर संपत्ति कर की चोरी को पकडऩे की कोशिश की तो महापौर से लेकर पार्षदों तक ने उस कोशिश का विरोध किया और उसमें ढेर सारी कमी निकाल दी… इन लोगों को लगा कि इस कोशिश के बाद अब आयुक्त ठंडे पड़ जाएंगे। आयुक्त ने कुछ नहीं बोला और खामोशी से अपने लक्ष्य की तरफ लगे रहे। उन्होंने आम जनता तक यह संदेश पहुंचा दिया कि अब जिन पर टैक्स बकाया है या जो टैक्स की चोरी कर रहे हैं, उन लोगों की खैर नहीं है… आयुक्त की इस कोशिश का यह परिणाम हुआ कि निगम के इतिहास में पहली बार लोक अदालत में एक दिन में निगम के खजाने में 100 करोड़ रुपए आ गए… यह राशि भी उस स्थिति में आई, जब पोर्टल काम नहीं कर रहा था और सर्वर डाउन था…
जब नया एमवाय तो नया पुल क्यों नहीं
एमवाय अस्पताल के भवन में चूहे हो गए तो सरकार ने ऐलान किया कि नया एमवाय बनाएंगे। अब नेता एक-दूसरे से पूछ रहे हैं कि जब चूहे के कारण इतना बड़ा अस्पताल नया बन सकता है तो फिर शास्त्री पुल को भी नया बनाने का फैसला क्यों नहीं हो सकता है?
-डा. जितेन्द्र जाखेटिया
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