
इंदौर। बीआरटीएस टूटने के साथ ही प्राधिकरण द्वारा एबी रोड़ के प्रमुख चौराहों पर करवाया गया फ्लायओवरों का फिजिबिलिटी सर्वे अब रद्दी की टोकरी में पहुंच गया है। इस पर 90 लाख रुपए जो खर्च किए गए वह भी फिजुल साबित हुए, क्योंकि अब एबी रोड बीआरटीएस की रैलिंग हटाने के बाद वैसे ही चौड़ा हो गया है और अब नए सिरे से सर्वे करवाना पड़ेगा। दूसरी तरफ एलआईजी से नवलखा तक बनने वाला एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट फिर जिंदा हो गया है, जिसके कारण नगर निगम को अपने सेंट्रल डिवाइडर का काम भी रूकवाना पड़ा और टेंडर शर्तों में भी संशोधन करना पड़ेगा।
इंदौर को नेताओं और अफसरों ने प्रयोगशाला बना दिया है, जहां पर नित नए कोतूक यातायात से लेकर अन्य मामले में होते रहे हैं। कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्राधिकरण द्वारा बनवाए भंवरकुआ के साथ फूटी कोठी फ्लायओवर का भी लोकार्पण किया था, तब उन्होंने घोषणा की थी कि इंदौर के हर चौराहे पर फ्लायओवर निर्मित करवाया जाएगा, जिससे आवागमन सिग्रल फ्री और सुगम हो सके। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद ताबड़तोड़ शहर के प्रमुख चौराहों पर फ्लायओवर बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई और प्राधिकरण ने बीआरटीएस कॉरिडोर यानी एबी रोड पर 9 चौराहों पर फ्लायओवर बनाने की ना सिर्फ घोषणा की, बल्कि निजी कम्पनी से फिजिबिलिटी सर्वे भी करवा लिया, जिस पर 90 लाख रुपए की राशि खर्च हुई। तब तक लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया जाने वाला एलिवेटेड कॉरिडोर भी रद्दी की टोकरी में पहुंच गया था, क्योंकि मुख्यमंत्री ने भी बीआरटीएस हटाने के निर्देश दे दिए थे। मगर अभी पिछली मीटिंग में इस एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट को बनाने की घोषणा की गई, जिसके चलते यह फिर से जिंदा हो गया।
हालांकि यह एलिवेटेड कॉरिडोर भी बीआरटीएस के साथ में बनना था, लिहाजा इसके लिए भी अब नए सिरे से सर्वे करवाना पड़ेगा और पुराना टेंडर भी काम नहीं आएगा। हालांकि अभी तक यह तय नहीं है कि यह एलिवेटेड कॉरिडर तक एलआईजी से लेकर नवलखा तक सीधा बनेगा या इसकी बुझाएं पलासिया या पत्रकार कॉलोनी की तरफ भी रहेंगी। अभी हाईकोर्ट की फटकार के बाद जीपीओ चौराहा से लेकर विजय नगर तक एक तरफ की रैलिंग भी निकाल दी, जिसके कारण सडक़ काफी चौड़ी हो गई और पलासिया की ओर से आने वाला ट्रैफिक सुगम भी हुआ। वहीं अब नए सिरे से फ्लायओवरों के लिए सर्वे करवाना पड़ेगा, क्योंकि पुराना सर्वे चूंकि बीआरटीएस के हिसाब से किया गया था, वह फिजूल हो गया है। प्राधिकरण ने एमआर-9, इंडस्ट्रीज हाउस, गिटार चौराहा, जीपीओ, नवलखा पर फ्लायओवर की आवश्यकता के मद्देनजर 90 लाख रुपए की राशि खर्च कर यह फिजबिलिटी सर्वे करवाया था। प्राधिकरण के सीईओ डॉ. परीक्षित झाड़े का भी कहना है कि पुराना जो सर्वे था, उस आधार पर तो फ्लायओवर बन नहीं सकते, क्योंकि बीआरटीएस ही हट गया है। लिहाजा जिन चौराहों पर फ्लायओवर की आवश्यकता है, उसके लिए नए सिरे से सर्वे की आवश्यकता पड़ेगी। दूसरी तरफ यह भी तय नहीं है कि पीडब्ल्यूडी ने जो एलिवेटेड का टेंडर मंजूर कर रखा है, उसका भविष्य क्या होगा। कुल मिलाकर एबी रोड पर अभी कई प्रयोग ऐसे ही बाकी हैं।
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