
लाहौर: पाकिस्तान (Pakistan) की अर्थव्यवस्था (Economy) इस वक्त गहरे संकट से गुजर रही है. महंगाई, बढ़ता विदेशी कर्ज और IMF की कड़ी शर्तों ने शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) सरकार को एक और बड़ा फैसला लेने पर मजबूर कर दिया है. ये फैसला है देश की राष्ट्रीय एयरलाइन (National Airline) पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) को बेचने का. आज 23 दिसंबर को एयरलाइंस की नीलामी होगी.
पाकिस्तान सरकार PIA की 75% हिस्सेदारी निजी हाथों में सौंपने जा रही है. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि बोली की आखिरी तारीख से ठीक दो दिन पहले सेना से जुड़ी एक बड़ी कंपनी रेस से बाहर हो गई. अब खेल सिर्फ तीन दावेदारों के बीच रह गया है. आइए जानते हैं पहले कि एयरलाइंस को आखिर बेचने की नौबत क्यों आई और आखिर ये तीन कंपनियां कौन हैं जो आज बोली लगाने वाली हैं?
PIA की हालत वर्षों से खराब है. एयरलाइंस की इस हालत के लिए खराब मैनेजमेंट, फ्लाइट्स की कमी, यात्रियों की शिकायतें और ऊपर से भारी कर्ज जिम्मेदार है. PIA की साख को सबसे बड़ा झटका 2020 के कराची विमान हादसे से लगा था. उस हादसे के बाद पायलट लाइसेंस घोटाला सामने आया, कई देशों ने PIA की फ्लाइट्स पर रोक लगा दी और कमाई लगभग ठप हो गई. घाटा इतना बढ़ चुका है कि सरकार के लिए इसे संभालना मुश्किल हो गया है.
ऊपर से IMF का दबाव अलग है. पाकिस्तान को IMF से करीब 7 अरब डॉलर का राहत पैकेज चाहिए और बदले में IMF चाहता है कि घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपा जाए. PIA भी इसी लिस्ट में है. पाकिस्तान सरकार प्राइवेट सेक्टर को मौका देकर PIA को दोबारा खड़ा करने की कोशिश कर रही है.
एयरलाइंस का नया मालिक कौन बन सकता है?
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