
डेस्क। भारतीय नौसेना (Indian Navy) का आईएनएसवी कौंडिन्य (INSV Kaundinya) पोत 29 दिसंबर को ओमान (Oman) के लिए अपनी पहली विदेशी यात्रा (Foreign Travel) शुरू करेगा। यह पोत गुजरात के पोरबंदर (Porbandar) से मस्कट के लिए रवाना होगा। इस यात्रा का मकसद भारत और हिंद महासागर क्षेत्र के बीच पुराने समुद्री रास्तों (Sea Routes) की याद दिलाना है, जिनसे भारत सदियों पहले दुनिया से जुड़ा था।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्राचीन भारतीय जहाजों के चित्रण से प्रेरित और पूरी तरह से पारंपरिक और तकनीकों का उपयोग करके निर्मित है। आईएनएसवी कौंडिन्य इतिहास, शिल्प कौशल और आधुनिक नौसैनिक विशेषज्ञता का एक दुर्लभ संगम प्रस्तुत करता है। मंत्रालय ने कहा, “समकालीन जहाजों के विपरीत, इसके लकड़ी के तख्तों को नारियल के रेशे की रस्सी से एक साथ बनाया गया है और प्राकृतिक रेजिन से सील किया गया है, जो भारत के तटों और हिंद महासागर में कभी प्रचलित जहाज निर्माण की परंपरा को दर्शाता है।”
अधिकारियों ने बताया कि इस तकनीक ने भारतीय नाविकों को आधुनिक नौवहन और धातु विज्ञान के आगमन से बहुत पहले ही पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिणपूर्व एशिया की लंबी दूरी की यात्राएं करने में सक्षम बनाया। यह परियोजना संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और होडी इनोवेशन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से शुरू की गई थी, जो भारत द्वारा स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को फिर से खोजने और पुनर्जीवित करने के प्रयासों का एक हिस्सा है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “मास्टर शिपराइट श्री बाबू शंकरन के मार्गदर्शन में पारंपरिक कारीगरों द्वारा निर्मित और भारतीय नौसेना और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा व्यापक अनुसंधान, डिजाइन और परीक्षण के समर्थन से निर्मित, यह पोत पूरी तरह से समुद्र में चलने योग्य और महासागरीय नौवहन में सक्षम है।” इस जहाज का नाम पौराणिक नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने प्राचीन काल में भारत से दक्षिण पूर्व एशिया तक की यात्रा की थी। यह जहाज एक समुद्री राष्ट्र के रूप में भारत की ऐतिहासिक भूमिका का प्रतीक है।
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