उन्नाव। विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) की दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi HC) से सजा निलंबित होने के बाद दुष्कर्म पीड़िता (Rape victim) का दर्द छलक पड़ा। उसने कहा कि इस निर्णय से उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) बाहुबली है। उसके परिवार को धमकियां मिलनी शुरू हो गई हैं। परिवार पर खतरा मंडराने लगा है। पीड़िता की बहन का दर्द छलक पड़ा। उसने साफ कहा। मैं इससे खुश नहीं हूं। उसने मेरे बड़े पापा को मारा और फिर मेरे पिता को मारा। फिर मेरी बहन के साथ यह घटना हुई। उसे रिहा कर दिया गया, लेकिन हम अभी भी खतरे में हैं। कौन जानता है, अब जब वे बाहर आ गया, तो वे मुझे और मेरे पूरे परिवार को मार सकता हैं।
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उसने यह भी कहा कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं, एक छोटा भाई है और हर दिन यह डर बना रहता है कि कहीं उनके साथ कुछ अनहोनी न हो जाए। पिता की हत्या में जेल से छूटकर आए अन्य लोग पहले से ही धमकियां दे रहे हैं। कह रहे है कि अब एक-एक से निपटा जाएगा। वहीं, कुलदीप के स्वजन और समर्थक खुश हैं। पूर्व विधायक की पत्नी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संगीता सेंगर ने कहा कि न्याय पालिका के निर्णय का पूरा सम्मान है। मुझे विश्वास है कि न्याय पालिका से हमें न्याय मिलेगा। कुलदीप के समर्थकों ने आतिशबाजी भी की।
नौकरी दिलाने का झांसा देकर दुष्कर्म किया
खुद को नाबालिग बताने वाली माखी की 17 वर्षीय किशोरी ने आरोप लगाया था कि 4 जून 2017 को कुलदीप सिंह सेंगर ने उसे नौकरी दिलाने का झांसा देकर अपने आवास पर बुलाया व दुष्कर्म किया। पुलिस ने कुलदीप के प्रभाव में कार्रवाई नहीं की। तीन अप्रैल को पिता को पीटा गया पर कुलदीप के प्रभाव में पुलिस ने उल्टे पिता को ही जेल भेज दिया। आठ अप्रैल 2018 को लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया। नौ अप्रैल 2018 की रात पिता की जेल में हालत बिगड़ी और मौत हो गई थी। मामले में कुलदीप व उनके भाई अतुल समेत अन्य पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। 13 अप्रैल 2018 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई थी।
उच्चतम न्यायालय ने खुद संज्ञान लिया
सीबीआई ने विधायक को बुलाया और गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। 28 जुलाई 2019 को रायबरेली में गुरुबक्शगंज के पास सड़क हादसे में चाची व मौसी की मौके पर मौत हो गई, जबकि पीड़िता और उसके वकील घायल हो गए थे। इलाज के 15 माह बाद वकील की भी मृत्यु हो गई थी। एक अगस्त 2019 को उच्चतम न्यायालय ने खुद संज्ञान लेकर मामला यूपी से हटाकर दिल्ली के तीस हजारी न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था। पीड़िता, उसके परिवार व दूसरे वकील को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी गई थी। तीन अप्रैल 2025 को सीआरपीएफ की सुरक्षा हटा दी गई, जबकि पीड़िता को दिल्ली यूनिट से सुरक्षा मिली हुई है।
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