अहमदाबाद। गुजरात का कच्छ क्षेत्र क्यों बार-बार भूकंप (Kutch earthquake) की चपेट में आता है? धरती के सिटी स्कैन (Earth’s CT scan) से इसका जवाब मिल गया है. गांधीनगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजिकल रिसर्च (ISR) और हिमाचल प्रदेश के महाराजा अग्रसेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक नई स्टडी में इस राज से पर्द हटा है. इस स्टडी के मुताबिक राज्य के नीचे कई फॉल्ट लाइन्स और डिफॉर्मेशन्स एक-दूसरे से इंटरैक्ट करती हैं, जिससे लगातार कंपन और भूकंप आते हैं. यह अध्ययन 2001 की विनाशकारी भूकंप की 25वीं बरसी से करीब एक माह पहले आया है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस अध्ययन पर आधारित एक रिपोर्ट छापी है.
6 से अधिक तीव्रता के चार भूकंप
भूवैज्ञानिक रूप से कच्छ रिफ्ट बेसिन के नाम से जाना जाने वाला यह इलाका गुजरात के बाकी हिस्सों की तुलना में काफी अधिक क्रस्टल डिफॉर्मेशन दिखाता है. महत्वपूर्ण बात यह है कि यह डिफॉर्मेशन प्रमुख सक्रिय फॉल्ट्स जैसे कच्छ मेनलैंड फॉल्ट, साउथ वागड़ फॉल्ट, अल्लाह बुंद फॉल्ट और गेदी फॉल्ट के साथ पूरी तरह जुड़े हैं. यही फॉल्ट सिस्टम्स पिछले बड़े भूकंपों के लिए जिम्मेदार रहे हैं. अध्ययन के अनुसार, इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 6 या उससे अधिक तीव्रता वाले कम से कम चार भूकंप दर्ज हुए हैं. 1819 में अल्लाह बुंद में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जबकि 2001 में कच्छ और गुजरात को 7.7 तीव्रता के झटके ने हिला दिया था.
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