
नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) में प्रदूषण (Pollution) अपने विनाशकारी (Catastrophic) स्तर पर पहुंच गया है. जिससे बचने के लिए बस एयर प्यूरीफायर (Air Purifiers) ही एक सहारा बचा है, क्योंकि सरकार (Goverment) द्वारा की जा रही तमाम कोशिशों के बाद भी AQI गंभीर बना हुआ है. लेकिन एयर प्यूरीफायर की महंगी कीमत और GST की मार इसे आम आदमी की पहुंच से दूर बनाए हुए है और यह एक लग्जरी प्रोडेक्ट बनके रह गया है. अब इस मामले में वकील कपिल मदन ने याचिका दाखिल की थी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार से कहा कि वो प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनजर एयर प्यूरीफायर पर GST में राहत देने पर विचार करें. क्योंकि वह दिल्लीवासियों को साफ हवा देने में असफल साबित हुई है. पिछले दो महीनों में एयर प्यूरीफायर की बिक्री 5 फीसद तक बढ़ी है, लेकिन महंगी GST से ये उच्च वर्ग तक ही सीमित है.
कोर्ट ने कहा कि अगर साफ हवा पर देश के हर नागरिक का हक है. अगर ऑथरिटी साफ हवा नहीं उपलब्ध करा रही तो कम से कम प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनजर कुछ वक्त के लिए एयर प्यूरीफायर पर GST में छूट दे. कम से कम सरकार इतना तो कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली NCR में इमरजेंसी जैसे हालात हैं.
कोर्ट ने कहा कि कम से कम एक सप्ताह/ महीने के लिए तो एयर प्यूरीफायर पर GST को हटाया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि हम 21000 बार सांस लेते हैं और सोचिए प्रदूषित हवा में सांस लेने से कितना नुकसान होगा? कोर्ट में सरकारी वकील ने कहा कि इस पर विचार चल रहा है. समय रहते इस पर फैसला ले लिया जाएगा.
कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कि कहा कि ‘समय रहते’ का क्या मतलब है? जब हजारों लोग मर रहे तब फैसला लेने में कितना वक़्त चाहिए. आपको बता दें कि याचिका में एयर प्यूरीफायर को मेडिकल डिवाइस घोषित करने और इस पर लगने वाले GST को 18 फीसद से घटाकर 5 फीसद (मेडिकल डिवाइस की तर्ज पर) करने की मांग की गई है.
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