
इंदौर, डा जितेन्द्र जाखेटिया। नगर निगम द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के नाम पर रखी गई अटल बस सर्विस 80 करोड़ रुपए के घाटे में है, वही अटल रीजनल पार्क बदहाल स्थिति में पहुंच गया है। अब तो इसे ठेके पर देने की कोशिश हो रही हैं, लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं है। देश की राजनीति में शुचिता के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की 100वीं जन्मजयंती के मौके पर आज नगर निगम द्वारा महापौर परिषद की विशेष बैठक आयोजित की जा रही है।
इसमें बीआरटीएस कॉरिडोर के रूप में पहचाने जाने वाले आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के इंदौर शहर की सीमा में आने वाले निरंजनपुर से लेकर राजीव गांधी प्रतिमा तक के हिस्से का नामकरण अटलजी के नाम पर किया जा रहा है। आज की बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया है कि अब इस मार्ग को अटलबिहारी वाजपेयी मार्ग के रूप में पहचाना जाएगा। नगर निगम द्वारा किए जा रहे इस नामकरण की बेला में जब पूर्व में अटलजी के नाम पर की गई सुविधाओं और व्यवस्थाओं की सुध ली गई तो दयनीय हालात निकलकर सामने आए।
सिटी बस सर्विस
पहली बार सरकार का पैसा लगाए बगैर सार्वजनिक लोक परिवहन की सेवा इंदौर में 2005 में शुरू की गई थी। इसके तहत सिटी बस का संचालन 2006 से शुरू हुआ। उस समय पर बस सेवा को संचालित करने वाली कंपनी का नाम आइसीटीएसएल (इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड) रखा गया था। बाद में 2010 में इस नामकरण को अटलजी के नाम पर किया गया और बस कंपनी को एआईसीटीएसएल नाम दे दिया गया। इसके साथ ही इंदौर में चलने वाली बसों को सिटी बस के रूप में पहचाना जाता था। इन बसों को 2015 में अटल सिटी बस का नाम दिया गया। अटलजी के नाम पर की गई सिटी बस की यह कंपनी और उसकी बस सेवा इस समय खराब स्थिति से गुजर रही है। यह बस कंपनी 80 करोड़ रुपए के घाटे में चल रही है।
कॉलेज की पहचान बदली
भंवरकुआं चौराहे के पास स्थित शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय वैसे तो सन 1891 में स्थापित हुआ था। पहले यह कॉलेज होलकर कॉलेज का हिस्सा था। बाद में इसे एक अलग पहचान दी गई। इस कॉलेज का नामकरण वर्ष 2009 में श्री अटलबिहारी वाजपेयी कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय कर दिया गया था। पिछले सालों में केंद्र सरकार द्वारा देश में पीएमश्री एक्सीलेंस कॉलेज के रूप में चयनित किए गए कॉलेज के विकास का कार्य शुरू हुआ। इसमें इंदौर में इस कॉलेज का चयन किया गया। अब यह कॉलेज अटलजी के नाम से कम और पीएमश्री एक्सीलेंस कॉलेज के रूप में ज्यादा पहचाना जाता है।
अटल खेल परिसर
वर्ष 2003 में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो उस समय पर योजना क्रमांक 78 में अटल खेल परिसर का विकास किया गया। यह खेल परिषर भी इस समय सुविधाओं के लिए मोहताज है। यहां पर बनाया गया स्विमिंग पूल शोपीस बनकर रह गया है। हाल ही में यह हकीकत उजागर हुई कि वर्ष 2005 में बनकर तैयार हो चुका यह स्विमिंग पूल अभी तक शुरू नहीं हो सका है।
अटल द्वार भी संकट में
नगर निगम द्वारा वर्ष 2002 में एमआईजी थाने के सामने से नेहरू नगर की तरफ जाने वाले रास्ते पर एक भव्य द्वारा बनाया गया, जिसे अटल द्वार का नाम दिया गया। अब नगर निगम द्वारा जंजीरवाला चौराहा से लेकर अटल द्वार तक सडक़ को चौड़ा करने का काम शुरू करने की कवायद की जा रही है। मास्टर प्लान में प्रावधान की गई यह सडक़ चौड़ी की जाती है तो संभव है कि अटल द्वार भी संकट में आ जाए।
अटल सभागृह
नगर निगम की वर्तमान परिषद द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान ही नई बिल्डिंग में परिषद की बैठक के लिए बनाए गए सभागृह का नामकरण अटलबिहारी वाजपेयी के नाम पर किया गया है। इस सभागृह में निगम परिषद की बैठकों का आयोजन किया जाता है। अभी इस सभागृह को तैयार हुए 1 साल ही हुआ है। ऐसे में अभी यह सभागृह व्यवस्थित तरीके से संचालित हो रहा है।
रीजनल पार्क
इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2002 में निर्मित किए गए पीपल्यापाला रीजनल पार्क का नामकरण भी अटलजी के नाम पर किया गया था। अब निगम इसे संचालन के लिए निजी क्षेत्र के ठेकेदार को सौंपना चाहता है, लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं है।
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