
जबलपुर। जिले में सरकारी स्कूलों की संख्या लगातार घटती जा रही है और अब आने वाले वर्ष में 54 शासकीय स्कूलों पर ताले लटकने का खतरा मंडरा रहा है। इसका मुख्य कारण शिक्षकों की भारी कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थापना को लेकर शिक्षकों की अनिच्छा बताया जा रहा है। हालात यह हैं कि जिले के 54 स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक ही शिक्षक के भरोसे पढ़ाई संचालित हो रही है या फिर अतिथि शिक्षकों के सहारे काम चलाया जा रहा है।
शिक्षा विभाग के अनुसार, एक शिक्षकीय शालाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना मुश्किल होता जा रहा है। यही कारण है कि विभाग इन स्कूलों को बंद करने या अन्य स्कूलों में मर्ज करने पर विचार कर रहा है। हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय भोपाल स्तर से लिया जाना है, क्योंकि यह समस्या केवल जबलपुर जिले तक सीमित नहीं है। पूरे प्रदेश में करीब 5 हजार से अधिक स्कूल इसी तरह शिक्षक संकट से जूझ रहे हैं।
पिछले साल जिले में शिक्षकविहीन होने के कारण 10 शासकीय स्कूल बंद किए गए थे। इस साल भी एक शिक्षकीय शालाओं पर संकट गहराता जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जिन स्कूलों में छात्र संख्या कम हो जाती है, वहां पदस्थ शिक्षक अतिशेष घोषित कर अन्यत्र स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। इसके बाद स्कूल धीरे-धीरे बंद होने की कगार पर पहुंच जाता है।

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