
नई दिल्ली। भारत (India) में मेडिकल स्टोर (Medical Store) से दवाई (Medicines) खरीदते समय आम लोगों के मन में अक्सर सवाल आता है — क्या दवाई हमेशा पूरी स्ट्रिप (Strip) या पूरा पैकेट लेकर ही खरीदनी होती है? या फिर 2–3 गोली भी कानूनी रूप से मिल सकती है?
कई बार दुकानदार ढीली दवा देने से मना कर देते हैं और कहते हैं कि “कानून इसकी इजाज़त नहीं देता।” लेकिन क्या वाकई ऐसा कोई कानून मौजूद है? आइए जानते हैं पूरा सच।
क्या सरकार ने 2–3 गोली या पूरी स्ट्रिप को लेकर कोई कानून बनाया है? इस सवाल का सीधा और स्पष्ट जवाब है — नहीं।
भारत सरकार ने अब तक ऐसा कोई अलग नियम या कानून नहीं बनाया है जिसमें यह लिखा हो कि:
• कौन-सी दवाइयाँ 2–3 गोली में दी जा सकती हैं
• और कौन-सी दवाइयों के लिए पूरी स्ट्रिप या पूरा पैक लेना ज़रूरी है
यानी दवाइयों की संख्या (quantity) को लेकर कोई सरकारी लिस्ट या नोटिफिकेशन मौजूद नहीं है।
फिर दवाइयों की बिक्री किस कानून के तहत होती है?
भारत में दवाइयों की बिक्री को नियंत्रित करने वाला मुख्य कानून है:
• Drugs and Cosmetics Act, 1940
• Drugs and Cosmetics Rules, 1945
इन नियमों के तहत सरकार दवाइयों को अलग-अलग Schedule में बाँटती है।
Schedule H, H1 और X दवाइयों का नियम क्या है?
इन शेड्यूल में आने वाली दवाइयाँ:
• केवल डॉक्टर के पर्चे (Prescription) पर बेची जा सकती हैं
• बिना पर्चे के बिक्री कानूनन अपराध है
लेकिन इन नियमों में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि दवा पूरी स्ट्रिप में ही बेची जाएगी। इसके बावजूद ज़्यादातर मेडिकल स्टोर ऐसी दवाइयाँ पूरी स्ट्रिप में ही देते हैं।
दुकानदार ढीली दवा देने से मना क्यों करते हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार इसके पीछे कई व्यवहारिक कारण होते हैं:
• ड्रग इंस्पेक्टर ढीली बिक्री पर सवाल उठा सकता है
• रिकॉर्ड और बिलिंग पूरी स्ट्रिप में आसान होती है
• गलत खुराक और दुरुपयोग से बचाव
• कानूनी जोखिम कम करने की कोशिश
इसी वजह से लोगों को लगता है कि पूरी स्ट्रिप लेना कानूनन ज़रूरी है, जबकि असल में यह सुरक्षा आधारित प्रैक्टिस है।
OTC (बिना पर्चे वाली) दवाइयों का क्या नियम है?
OTC यानी Over The Counter दवाइयाँ, जैसे:
• पैरासिटामोल
• सामान्य सर्दी-खांसी की दवाइयाँ
• विटामिन और सप्लीमेंट
इनके लिए:
•डॉक्टर का पर्चा ज़रूरी नहीं
•2–3 गोली देना आम चलन है
हालाँकि यहाँ भी कानून संख्या तय नहीं करता।
दवाई पूरी स्ट्रिप में क्यों दी जाती है?
• मरीज को सही जानकारी और चेतावनी मिल सके
• एक्सपायरी डेट और बैच नंबर सुरक्षित रहे
• गलत इस्तेमाल से बचाव हो
• केमिस्ट कानूनी झंझट से बच सके
लोगों में भ्रम क्यों बना रहता है?
- कानून मात्रा तय नहीं करता
- राज्यों के ड्रग कंट्रोल विभागों के अलग-अलग निर्देश
- स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर की सख़्ती
- दुकानदार की अतिरिक्त सावधानी
निष्कर्ष (Conclusion)
- भारत में ऐसा कोई सीधा कानून नहीं है जो यह तय करे कि कौन-सी दवा 2–3 गोली में मिलेगी और कौन-सी पूरी स्ट्रिप में
- कानून सिर्फ यह तय करता है कि कौन-सी दवा पर्चे पर मिलेगी और कौन-सी बिना पर्चे
- पूरी स्ट्रिप देना ज़्यादातर सुरक्षा और व्यवहारिक कारणों से होता है, न कि सीधे सरकारी आदेश से