
नई दिल्ली। बॉलीवुड इंडस्ट्री(Bollywood industry) में आज आपको कई महिला डायरेक्टर्स(Female directors) के नाम सुनने को मिलते हैं। पर क्या आप जानते हैं भारत की पहली महिला डायरेक्टर(India’s first female director) कौन थीं। इन डायरेक्टर(Director) ने कैसे इंडस्ट्री(Industry) में अपना योगदान दिया? आइए जानते हैं भारत की पहली महिला डायरेक्टर का नाम(The name of India’s first female director)।
बॉलीवुड (Bollywood)में कई महिला डायरेक्टर्स(Several female directors) के नाम और काम से आप वाकिफ होंगे। आज बॉलीवुड में कई महिला डायरेक्टर्स हैं। पर क्या आप भारत की पहली महिला डायरेक्टर (India’s first female director)का नाम जानते हैं? अगर नहीं, तो चलिए हम आपको बताते हैं। भारत की पहली महिला डायरेक्टर का नाम फात्मा बेगम(Fatima Begum) है। फात्मा की डायरेक्ट (Fatima’s direct)की हुई पहली फिल्म साल(First film year) 1926 में आई थी। आइए जानते हैं भारत की पहली महिला डायरेक्टर की कहानी।
1892 में हुआ था फातमा का जन्म
भारत की पहली महिला डायरेक्टर का जन्म 1892 में गुजरात के सूरत में हुआ था। फातमा एक मुस्लिम परिवार से आती थीं। फातमा जब यंग थीं तब उन्होंने थिएटर सीखा और उर्दू प्लेज में एक्टिंग कीं। फातिमा ने स्टेज प्ले से अपने करियर की शुरुआत की थी, फिर बाद में उन्होंने फिल्मों की तरफ अपना रुख किया।
30 की उम्र में किया फिल्मों में डेब्यू
goldenglobes.com के मुताबिक, फातमा ने 30 की उम्र में अपना फिल्मी एक्टिंग डेब्यू किया। एक्ट्रेस के तौर पर फातमा(Fatima) अर्देशिर ईरानी की साइलेंट फिल्म(Ardeshir Irani’s silent film) वीर अभिमन्यु(Veer Abhimanyu) में नजर आई थीं। ये फिल्म साल 1922 में रिलीज हुई थी। उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं होती थी। फीमेल रोल्स भी मर्द ही किया करते थे। ऐसे में जब फातमा(Fatima) ने एक्टिंग की शुरुआत की तो वो रातोंरात स्टार बन गईं।
एक्टर के तौर पर फातमा ने सती सरदाबा, पृथ्वी वल्लभ, काला नाग और गुल-ए-बकावली में काम किया। ये सभी फिल्में 1924 में रिलीज हुई थीं। इसके एक साल बाद यानी 1925 में फातमा फिल्म मुंबई नी मोहिनी में नजर आईं। इस फिल्म को नानुभाई देसाई ने डायरेक्ट की थी। यह एक थ्रिलर फिल्म थी।
फातमा ने शुरू की थी अपनी प्रोडक्शन कंपनी
फातमा (Fatima) इंडस्ट्री की पहली ऐसी महिला थीं जिन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू की थी। फातमा (Fatima)की प्रोडक्शन कंपनी का नाम फातमा फिल्म्स है। उन्होंने इस कंपनी की शुरुआत 1928 में की थी। बाद में इस कंपनी का नाम बदलकर विक्टोरिया-फातमा फिल्म्स कर दिया गया था। उन्होंने एक डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, एक्टर और स्क्रीनराइटर के तौर पर नाम कमाया।
डायरेक्टर के तौर पर इस फिल्म से किया था डेब्यू
डायरेक्टर के तौर पर फातमा(Fatima) की पहली फिल्म बुलबुल-ए-परिस्तान थी। उन दिनों के हिसाब से ये फिल्म एक बड़े बजट की फिल्म थी। इस फिल्म को फातमा के पुराने दोस्त अर्देशिर ईरानी ने प्रोड्यूस किया था। इस फिल्म के लिए उन्होंने ट्रिक फोटोग्राफी का इस्तेमाल करके स्पेशल इफेक्ट्स दिए थे। हालांकि, इस फिल्म का कोई भी प्रिंट आज मौजूद नहीं है। यह एक फैंटेसी ड्रामा फिल्म थी।
इन फिल्मों को भी किया था डायरेक्ट
उन दिनों में फातमा(Fatima) ने कई फिल्में डायरेक्ट कीं और महिलाओं को लीड रोल्स में कास्ट किया। 1927 में उन्होंने गॉडेस ऑफ लव नाम की एक फिल्म पेश की। फिर साल 1928 में उन्होंने हीर रांझा और चन्द्रावली जैसी फिल्में बनाईं। बेगम लगातार काम करना चाहती थीं। इसके बाद बेगम की कनकतार, मिलन दीनार, नसीब नी देवी और शकुंतला जैसी फिल्में रिलीज हुईं। ये सभी फिल्म साल 1929 में रिलीज हुई। फातमा की आखिरी फिल्म भी साल 1929 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म का नाम था गॉडेस ऑफ लक। 1929 में लीगल मुश्किलों की वजह से स्टूडियो बंद हो गया था।
30 से ज्यादा फिल्मों में की एक्टिंग
फातमा(Fatima) का निधन साल 1983 में 91 की उम्र में हुआ था। फातमा के तीन बच्चे थे जिन्हें फातमा ने अपनी ही फिल्मों में एक्टिंग का मौका दिया। विकीपीडिया के मुताबिक, डायरेक्टर के तौर पर भले ही उनकी आखिरी फिल्म साल 1929 में रिलीज हुई थी, लेकिन उन्होंने अपने एक्टिंग करियर को जारी रखा। 1940 तक फातिमा ने फिल्मों में एक्टिंग की।उन्होंने अपने करियर में 30 से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग की थी।
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