
नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) कार्यसमिति की अहम बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Goverment) के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि देश इस समय ऐसे दौर से गुजर रहा है, जहां लोकतांत्रिक संस्थाएं (Democratic Institutions) कमजोर की जा रही हैं, संविधान की भावना को चोट पहुंच रही है और आम नागरिक के अधिकार लगातार सिमटते जा रहे हैं. खरगे के मुताबिक यह केवल हालात की समीक्षा का समय नहीं है, बल्कि आने वाले संघर्ष की दिशा तय करने का निर्णायक मोड़ है.
खरगे ने संसद के शीतकालीन सत्र का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने मनरेगा जैसी ऐतिहासिक योजना को कमजोर कर करोड़ों गरीबों, मजदूरों और ग्रामीण परिवारों की रोजी-रोटी पर सीधा प्रहार किया है. उन्होंने इसे गरीबों के पेट पर लात और पीठ में छुरा घोंपने जैसा बताया. खरगे के शब्दों में मनरेगा को खत्म करना सिर्फ एक योजना का अंत नहीं, बल्कि महात्मा गांधी के विचारों और उनके सम्मान पर हमला है.
खरगे ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार की नीतियां आम जनता के हित में नहीं, बल्कि कुछ चुनिंदा बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई जा रही हैं. उन्होंने महात्मा गांधी के उस विचार को दोहराया, जिसमें विशेषाधिकार और एकाधिकार का विरोध किया गया था. उनका कहना था कि जो व्यवस्था समाज के साथ साझा नहीं हो सकती, वह नैतिक रूप से स्वीकार्य नहीं है.
खरगे ने अपने श्रम मंत्री कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की इस योजना की सराहना होती थी. उन्होंने बताया कि 2006 में आंध्र प्रदेश के एक गांव से सोनिया गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह ने इस योजना की शुरुआत की थी. समय के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना बनी, जिसने ग्रामीण भारत को संबल दिया, पलायन रोका और दलितों, आदिवासियों, महिलाओं तथा भूमिहीन मजदूरों के लिए सुरक्षा कवच का काम किया.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार ने बिना किसी गंभीर अध्ययन और राज्यों या विपक्ष से चर्चा किए मनरेगा को खत्म कर नया कानून लागू कर दिया. उन्होंने इसकी तुलना कृषि कानूनों से की, जिन्हें बिना सलाह के लागू किया गया था और बाद में जनता के दबाव में वापस लेना पड़ा.
खरगे ने साफ कहा कि मनरेगा को बचाने के लिए राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन जरूरी है. उन्होंने भरोसा जताया कि जैसे कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष सफल रहा, वैसे ही इस मुद्दे पर भी जनता की ताकत सरकार को झुकने पर मजबूर करेगी. उन्होंने याद दिलाया कि किसानों की कुर्बानियों के बाद सरकार को पीछे हटना पड़ा था और भविष्य में मनरेगा की बहाली भी तय है.
बैठक में संगठन सृजन अभियान की प्रगति पर भी चर्चा हुई. खरगे ने बताया कि सैकड़ों जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है और आने वाले महीनों में शेष जिलों में यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी. लक्ष्य बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत और संघर्षशील बनाना है. उन्होंने 2026 में होने वाले असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के चुनावों की तैयारियों की भी जानकारी दी.
खरगे ने SIR प्रक्रिया को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताते हुए कहा कि दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश रची जा रही है. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से घर-घर जाकर सूची की जांच करने का आह्वान किया. साथ ही उन्होंने ED, CBI और IT के कथित दुरुपयोग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कांग्रेस इस लड़ाई को अदालत और सड़क दोनों पर लड़ेगी.
कांग्रेस अध्यक्ष ने पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की निंदा की और देश के भीतर भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की घटनाओं पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचता है. कुल मिलाकर CWC बैठक में कांग्रेस ने साफ संकेत दिया कि आने वाले समय में पार्टी सिर्फ चुनावी नहीं, बल्कि वैचारिक और जनआंदोलन की लड़ाई के लिए भी पूरी तरह तैयार है.
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