होसूर/तमिलनाडु। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने शनिवार को कहा कि वह एक दक्षिण भारतीय भाषा सीखने की कोशिश करेंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि सभी भारतीय लोगों को भी एक ना एक दक्षिण भारतीय भाषा जरूर सीखना चाहिए । चौहान ने यह बात तमिलनाडु (Tamil Nadu) के होसूर में ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) द्वारा ‘वृक्षों पर आधारित टिकाऊ खेती’ विषय पर आयोजित एक किसान सेमिनार में बोलते हुए कही। इस दौरान उन्होंने कहा कि खेती में सुधार के लिए मैं यहां के एक डेलिगेशन को आमंत्रित करता हूं कि वे कृषि मंत्रालय आएं और अपने अनुभवों को हमसे साझा करें। इसी दौरान उन्होंने कहा कि, ‘हर भारतीय को कम से कम एक दक्षिण भारतीय भाषा सीखनी चाहिए। मैं भी एक भाषा सीखने की कोशिश करूंगा।’
केंद्र सरकार के मंत्री शिवराज सिंह चौहान जिनके पास किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्रालय भी है, उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के अनुभवों से प्रेरणा लेकर ‘पेड़ों पर आधारित खेती’ पर एक पॉलिसी बनाने की कोशिश की जाएगी। इस कार्यक्रम में जग्गी वासुदेव ने किसानों को नियंत्रित करने वाली पाबंदियों से आजादी दिलाने के लिए पॉलिसी में सुधार करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि जग्गी वासुदेव के मिट्टी बचाओ आंदोलन ने इस बात पर जोर दिया कि स्वस्थ मिट्टी जीवन, खाद्य सुरक्षा और क्लाइमेट रेज़िलिएंस के लिए बहुत जरूरी है, और रीजेनरेटिव खेती इंसान और प्रकृति के बीच संतुलन बहाल करती है। इस कार्यक्रम में, जग्गी वासुदेव ने किसानों को प्रतिबंधात्मक नियंत्रणों से मुक्त करने के लिए पॉलिसी में सुधार करने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘खेती को सरकारी नियंत्रण से आजाद किया जाना चाहिए और खेती की जमीन पर उगाए गए उत्पादों और जंगलों में उगाए गए उत्पादों के बीच साफ अंतर करने की जरूरत पर जोर दिया।
सद्गुरु ने कहा, ‘किसान अपनी जमीन पर जो कुछ भी उगाता है, वह उसी का होना चाहिए और उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री से अपील की कि वे उन रुकावटों को दूर करें जो किसानों को अपनी जमीन पर उगाए गए पेड़-पौधों को बेचने से रोकती हैं।

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