
इंदौर। सांवेर में आयोजित भव्य सामूहिक विवाह समारोह उस समय विवादों में घिर गया, जब महिला एवं बाल विकास विभाग की सजगता से 9 नाबालिग जोड़ों का विवाह अंतिम समय पर रोक दिया गया। ‘श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव’ के अंतर्गत हुए इस आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित कई जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। बावजूद इसके, जोड़ों की वास्तविक उम्र का पूर्व सत्यापन न किया जाना आयोजन समिति और संबंधित तंत्र की बड़ी लापरवाही के रूप में सामने आया।
समारोह में कुल 251 जोड़े विवाह के लिए पंजीकृत थे। कार्यक्रम के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम और फ्लाइंग स्क्वाड ने दस्तावेजों की जांच की, जिसमें 9 जोड़ों में दूल्हा या दुल्हन की उम्र कानूनी सीमा से कम पाई गई। विभाग ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए इन जोड़ों को विवाह से अलग किया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, यदि समय पर कार्रवाई नहीं होती, तो एक गंभीर कानूनी अपराध घटित हो सकता था। ज्ञात हो कि विभाग द्वारा जारी की गई जोड़ों के नाम की सूची और उम्र में भी कम उम्र का उल्लेख सामने आया है। इसके बावजूद भी आखिरी समय तक प्रबंधन और प्रशासन कैसे अनदेखी कर गया, समझ से परे है। हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन 9 जोड़ों को विवाह सूची में से हटाने का आयोजक दावा कर रहे हैं, उन सभी जोड़ों ने शादी संपन्न होना स्वीकार किया है। अग्निबाण प्रतिनिधि ने इन सभी जोड़ों के फोन नंबर पर जानकारी मांगी तो विवाह होना स्वीकार किया गया।
रोकने का दिखावा, विवाह हो गया
फिलहाल, इस प्रकरण पर जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ भी हक्के-बक्के रह गए हैं। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या आयोजन समिति या संबंधित परिवारों पर कोई ठोस कार्रवाई होगी। हालांकि विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन नाबालिग जोड़ों की शादी रोकना बताया गया है, उनका विवाह संपन्न हो चुका है। अग्निबाण ने पुष्टि करने के लिए जोड़ों के माता-पिता से बात की तो उन्होंने जानकारी दी कि उनका विवाह संपन्न हो चुका है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी जिले में हुए सामूहिक विवाह समारोहों में नाबालिग जोड़े सामने आ चुके हैं। लगातार ऐसी घटनाओं का सामने आना सामूहिक विवाह आयोजनों में सख्त निगरानी और उम्र सत्यापन की प्रक्रिया पर सवाल या निशान लगता है कि विभाग की नाक के तले ही इस तरह के आयोजन हो रहे हैं।
समिति के खिलाफ भी हो सकती है कानूनी कार्रवाई
महिला एवं बाल विकास जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत पुरुष की न्यूनतम विवाह आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष निर्धारित है। इसका उल्लंघन दंडनीय अपराध है, वहीं फ्लाइंग स्क्वाड प्रभारी महेंद्र पाठक ने कहा कि नाबालिगों का विवाह न कराने की जिम्मेदारी केवल परिवारों की ही नहीं, बल्कि आयोजन समिति की भी होती है और ऐसे मामलों में समिति के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई संभव है। इस पूरे मामले के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और बाल अधिकार संगठनों ने आयोजन पर सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि जब मुख्यमंत्री की उपस्थिति में इतना बड़ा आयोजन हो रहा था, तब जोड़ों की उम्र का सत्यापन पहले ही किया जाना चाहिए था। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि विभाग की सजगता न होती, तो नाबालिगों का विवाह संपन्न हो जाता और इससे पूरे आयोजन में शामिल लोगों को आरोपी बनाना पड़ता और मुख्यमंत्री भी इस नाबालिग विवाह के साक्षी बन जाते।
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